इस्लामाबाद। पाकिस्तान में आज हुए आम चुनावों के बाद हो रही वोटों की गिनती के शुरुआती चरण में क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ (पीटीआई) 114 संसदीय सीटों पर आगे चल रही है जबकि पीटीआई की मुख्य प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) 64 सीटों पर आगे है। हाफिज सईद की पार्टी को किसी सीट पर बढ़त नहीं हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की मरियम औरंगजेब ने चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं।
पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) 42 सीटों पर आगे चल रही है। इससे संकेत मिलते हैं कि यदि इस संसदीय चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो पीपीपी ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा सकती है। अन्य पार्टियों के उम्मीदवार 30 सीटों पर आगे चल रहे हैं। अभी कुल 272 सीटों में से 270 सीटों के रुझान प्राप्त हुए हैं। बहुमत के लिए किसी भी पाटी को 137 सीटों की जरूरत है।
इस बीच पीएमएल-एन की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने मतों की गणना की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है और आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी के एजेंटों को कई निवार्चन क्षेत्रों के मतदान केंद्रों से बाहर किया गया है। पीपीपी के मौला बक्स चंदियों ने भी दावा किया है कि उनकी पार्टी के एजेंटों को बादिन में मतदान केंद्रों के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है।
आरोपों पर जबाव देते हुए पंजाब के प्रांतीय चुनाव आयुक्त ने कहा कि नेताओं को ऐसे निराधार आरोप लगाने से बचना चाहिए। काजी हुसैन अहमद की अगुवाई वाली जमात-ए-इस्लामी, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फज्ल, जमीयत उलेमा-ए- पाकिस्तान और तहरीक-ए- जफरिया जैसी पारंपरिक क्षेत्रीय पार्टियों के गठबंधन मुत्ताहिदा मजलिस-ए- अमल और मुत्ताहिदा कौमी मूलमेंट (एमक्यूएम) क्रमश : नौ और पांच सीटों पर आगे चल रही हैं।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य होते हैं, जिनमें से 272 को सीधे तौर पर चुना जाता है जबकि शेष 60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। आम चुनावों में पांच फीसदी से ज्यादा वोट पाने वाली पार्टियां इन आरक्षित सीटों पर समानुपातिक प्रतिनिधित्व के हिसाब से अपने प्रतिनिधि भेज सकती हैं। कोई पार्टी तभी अकेले दम पर सरकार बना सकती है, जब उसे 172 सीटें हासिल हो जाए।
चुनाव आयोग के मुताबिक, नेशनल असेंबली की 272 जनरल सीटों के लिए 3,459 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। जबकि चार प्रांतीय विधानसभाओं (पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा) की 577 जनरल सीटों के लिए 8,396 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे। इन चुनावों में 30 से ज्यादा राजनीतिक पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारे।
297 सीटों में से 289 सीटों पर मिले रुझान के मुताबिक पंजाब असेंबली में पीएमएल-एन और पीटीआई के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है, जहां दोनों क्रमश : 133 और 118 सीटों पर आगे चल रहे हैँ। सिंध असेंबली में 131 सीटों में से 92 पर मिले रुझान के मुताबिक पीपीपी अपने गढ़ में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर रही है जहां वह 60 सीटों पर आगे चल रही है। पीटीआई 11 सीटों पर आगे है।
वहीं खैबर पख्तूनख्वा में पीटीआई 99 असेंबली सीटों में से 18 सीट पर आगे चल रही है जबकि आवामी नेशनल पार्टी छह सीटों पर आगे है।
इससे पहले, पाकिस्तान मुस्लिम लीग - नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ (पीटीआई) सहित कई प्रमुख पार्टियों ने मतदान की अवधि एक घंटा बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन इसके बावजूद मतदान अपने निर्धारित समय पर खत्म हुआ। राजनीतिक पार्टियों ने ‘मतदान की धीमी प्रक्रिया' की शिकायत की थी और मतदाताओं को और वक्त मुहैया कराने की मांग की थी। लेकिन चुनाव आयोग ने उनके अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया।
आम चुनावों के लिए मतदान शुरू होने के कुछ घंटे बाद इस्लामिक स्टेट के एक फिदाइन हमलावर ने बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा के भोसा मंडी इलाके के एक मतदान केंद्र के बाहर विस्फोट में खुद को उड़ा लिया। इस हमले में कई पुलिसकर्मियों सहित 31 लोग मारे गए।
पुलिस ने बताया कि चुनाव से जुड़ी हिंसा की अलग-अलग घटनाओं में चार लोग मारे गए। कई मतदान केंद्रों के बाहर प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के बीच झड़पें हुईं।
पाकिस्तानी संसद के निचले सदन और चार प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों के लिए वोट करने के लिए करीब 10.6 करोड़ लोग वोटर के तौर पर पंजीकृत हैं। पाकिस्तान के 70 साल के इतिहास में यह चुनाव सत्ता का दूसरा लोकतांत्रिक परिवर्तन है।
आधिकारिक तौर पर मतदान केंद्र सुबह आठ बजे खुले, लेकिन उत्साही नागरिक सुबह सात बजे से ही मतदान केंद्रों के बाहर कतारों में खड़े नजर आए। पाकिस्तानी थलसेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने रावलपिंडी में मतदान किया। पीएमएल-एन की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार शाहबाज शरीफ लाहौर में वोट डालने वाले शुरुआती वोटरों में शामिल थे।
पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी, सिंध प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री मुराद अली शाह, एमक्यूएम-पी के नेता फारूक सत्तार, पाक सरजमीं पार्टी के अध्यक्ष मुस्तफा कमाल, पीटीआई के प्रमुख इमरान खान, पीपीपी के सह- अध्यक्ष बिलावल भुट्टो और जेयूआई-एफ के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने भी अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों में वोट डाले।
दोनों भुट्टो बहनों (आसिफा भुट्टो जरदारी और बख्तावर भुट्टो जरदारी) ने भी अपने वोट डाले। बख्तावर ने वोट डालने के बाद अपनी बहन के साथ की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली।
सुचारू मतदान प्रक्रिया के लिए पाकिस्तान चुनाव आयोग ने देश भर में करीब 16 लाख चुनाव कर्मियों को मतदान केंद्रों पर तैनात किया। सुरक्षा के लिए करीब 4,49,465 पुलिसकर्मियों और 3,70,000 से ज्यादा सैन्यकर्मियों की तैनाती की गई। मतदान के मद्देनजर आज पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था।
अफगानिस्तान से सटे पाकिस्तान के रूढ़िवादी कबायली जिले अपर डीर की महिलाओं ने आज पहली बार चुनावों में वोट डाले। 1970 के दशक में पाकिस्तान के पहले आम चुनावों के बाद से अब तक अपर डीर की महिलाएं सांस्कृतिक रूढ़ियों के कारण वोट डालने के अपने अधिकार से वंचित थीं।
पाकिस्तान चुनाव आयोग ने कहा था कि उन चुनाव क्षेत्रों में मतदान अमान्य करार दे दिया जाएगा, जहां महिलाओं को वोट डालने से रोका जाएगा। एक मीडिया रिपोर्ट में आज कहा गया कि अल्पसंख्यक समुदायों के कुछ लोगों को इस्लामाबाद के एक चुनाव क्षेत्र में वोट नहीं डालने दिया गया। ‘डॉन’ के मुताबिक, यह घटना इस्लामाबाद के एनए-54 चुनाव क्षेत्र में हुई।
अवामी वर्कर्स पार्टी ने शिकायत की कि मतदान केंद्र पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को वोट डालने की इजाजत नहीं दी जा रही थी, क्योंकि मतदान कर्मियों के पास अल्पसंख्यकों के लिए मतदाता सूची नहीं थी।
पाकिस्तान में हिंदू, ईसाई और अहमदिया समुदाय के लोगों के साथ अक्सर भेदभाव की घटनाएं होती रहती हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिस ने आज पेशावर में ट्रांसजेंडर पर्यवेक्षकों के एक समूह को मतदान केंद्रों में दाखिल नहीं होने दिया जबकि पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने उन्हें मतदान केंद्रों में जाकर पर्यवेक्षण करने की अनुमति दे रखी थी।
दि एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 ट्रांसजेंडर पर्यवेक्षकों ने चुनाव आयोग से अपनी परेशानी बताई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। लाहौर में कुछ ट्रांसजेंडर वोटरों को वोट डालने से रोके जाने की घटनाएं सामने आईं।
पर्यवेक्षकों ने आरोप लगाया कि ट्रांसजेंडर इलेक्शन डे ऑब्जर्वर नाम के उनके संगठन को सुरक्षा बलों ने अफगान कॉलोनी में रोक दिया जबकि उनके पास चुनाव आयोग की ओर से जारी मान्यता कार्ड थे। उन्होंने कहा कि समूचे पेशावर में उन्हें मतदान केंद्रों में प्रवेश नहीं करने दिया गया।
हाफिज सईद ने लाहौर में डाला वोट : मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद ने आम चुनाव में लाहौर के वफाकी कॉलोनी में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। सईद का बेटा और दामाद भी आम चुनाव में भागीदारी कर रहे हैं।
हाफिज सईद के प्रतिबंधित जमात-उद दावा की सियासी इकाई मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) ने अल्लाह-उ-अकबर तहरीक (एएटी) नाम की पार्टी से अपने 260 प्रत्याशियों को राष्ट्रीय एवं प्रांतीय चुनावों में उतारा। हाफिज सईद का बेटा हाफिज तलहा सईद सरगोधा से एनए-91 से चुनाव लड़ा। यह जमात-उद दावा नेता का गृहनगर है, जो लाहौर से करीब 200 किलोमीटर दूर है।
हाफिज सईद का दामाद खालिद वलीद पीपी-167 से प्रत्याशी था। ये उम्मीदवार एएटी के बैनर तले चुनाव लड़ रहे थे क्योंकि पाकिस्तान चुनाव आयोग ने एमएमएल का पंजीकरण करने से इनकार कर दिया है। जमात-उद दावा को जून 2014 में अमेरिका ने विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था। आतंकी गतिविधियों के लिए अमेरिका ने सईद पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है।