खबरों के मुताबिक, चीन द्वारा पाकिस्तान को दिया गया कर्ज इस साल जून तक 5 अरब डॉलर तक पहुंचने वाला है। इस कर्ज का उपयोग पाकिस्तान अपने कम होते विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने में करना चाहता है। यह भंडार पिछले साल 16.4 अरब डॉलर के मुकाबले पिछले सप्ताह मात्र 10.3 अरब डॉलर तक रह गया है। पाकिस्तान में हालात इतने बिगड़ गए हैं कि इस साल जुलाई में आम चुनाव के बाद पाकिस्तान को 2013 के बाद अपने दूसरे बेलआउट पैकेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से सहायता मांगनी पड़ सकती है।
पाकिस्तान दो अरब डॉलर तक मदद के लिए बीजिंग से बात कर चुका है और संभवत: जल्द ही उसे यह मदद मिल जाए। पिछले सप्ताह ही पाकिस्तान सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के तीन बैंकों से भी करीब 20 करोड़ डॉलर का कर्ज मांगा है, जो उसे बैंक ऑफ दुबई, अमीरात एनबीडी और नूर बैंक से एक साल के लिए मिलेगा।
वहीं दूसरी ओर चीन ने पाकिस्तान को पूर्व में दिए 50 करोड़ डॉलर के कर्ज की शर्तों में छूट देने की मंजूरी भी दे दी है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने पाकिस्तान को जून 2012 में यह कर्ज दिया था, जो अगले माह परिपक्व होने वाला है। चीन ने इसकी परिपक्वता अवधि एक साल और बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। यद्यपि पाकिस्तान इस रकम का इस्तेमाल नहीं कर सकता है, क्योंकि यह सिर्फ उसका विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के लिए है।