इसराइल के साथ भारत के बेहतर संबंध, फिलीस्तीन को हो सकता है यह फायदा...

शनिवार, 10 फ़रवरी 2018 (12:49 IST)
रामल्ला। फिलीस्तीन में विशेषज्ञों ने कहा कि इसराइल के साथ भारत के बेहतर संबंधों से असल में उनके देश को फायदा पहुंच सकता है और फिलीस्तीनी नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा को इसराइल के साथ शांति प्रक्रिया फिर से शुरू करने के एक अवसर के तौर पर देखता है।
 
मोदी इस क्षेत्र में बढ़े तनाव के बीच रामल्ला पहुंच रहे हैं। वे फिलीस्तीन की यात्रा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के यरुशलम को इसराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के बाद क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है।
 
फिलीस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन एक्जीक्यूटिव कमिटी के सदस्य अहमद मजदलानी ने कहा कि इसराइल और भारत के बीच बेहतर संबंधों से फिलीस्तीनियों को मदद मिल सकती है। 'द यरुशलम पोस्ट' ने मजदलानी के हवाले से कहा कि उनके बीच बढ़ते संबंध सकारात्मक हो सकते हैं, क्योंकि अब भारत का इसराइल पर अधिक दबाव है और वह हमारे पक्ष में दबाव बना सकता है। 
 
रामल्ला में कई अधिकारियों से चर्चा के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि फिलीस्तीनी नेतृत्व भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा को शांति प्रक्रिया के गतिरोध को तोड़ने में मदद करने के एक अवसर के रूप में देख रहा है। हालांकि इसराइल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल अमेरिका के नेतृत्व वाली शांति प्रक्रिया के तहत ही आगे बढ़ेगा।
 
एक अधिकारी ने कहा कि आज वैश्विक समुदाय में भारत की व्यापक स्वीकार्यता है। उसके गणतंत्र दिवस समारोह में आसियान देशों के नेताओं की भागीदारी उसके बढ़े हुए दर्जे को स्पष्ट तौर पर दर्शाती है। ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में उसकी  सदस्यता तथा कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी दृश्यता साफतौर पर यह दिखाती है कि आज वह एक वैश्विक खिलाड़ी है। 
 
इसराइल के साथ भारत के कूटनीतिक संबंधों, मोदी की इसराइल यात्रा को लेकर मिलनसारिता तथा इसराइली प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से ऐसा नहीं लगता कि फिलीस्तीन बेचैन है। विश्वविद्यालय के एक छात्र एमान ने कहा कि यहां तक कि जॉर्डन और मिस्र के भी इसराइल के साथ पूर्ण कूटनीतिक संबंध हैं तो भारत के क्यों नहीं हो सकते?
 
इसराइल से भारत के बढ़ते संबंध के बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने खुद कहा कि किसी भी देश के पास अन्य देशों से संबंध कायम करने का अधिकार है। मोदी पश्चिम एशिया की अपनी यात्रा के दौरान इसराइल नहीं जाएंगे।
 
भारत सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार फिलीस्तीन के पक्ष में वोट करता रहा है और नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उसके हालिया वोट पर स्पष्ट तौर पर नाखुशी जताई थी, जहां 128 देशों ने यरुशलम को इसराइल की राजधानी घोषित करने के अमेरिका के कदम को खारिज कर दिया था। 
 
मोदी शनिवार को फिलीस्तीन की 3 घंटे की व्यस्त यात्रा फिलीस्तीन के प्रतिष्ठित दिवंगत नेता यासेर अराफात की कब्र पर पुष्पचक्र अर्पित कर शुरू करेंगे। उनके साथ फिलीस्तीन के उनके समकक्ष रामी हमदल्ला भी होंगे।
 
इसराइली मीडिया में इस यात्रा को प्रमुखता से जगह दी गई है। कई खबरों में इस पर नाखुशी जताई गई है। कई इसराइली अराफात को इस क्षेत्र में कई निर्दोष नागरिकों की हत्या और हिंसा भड़काने के लिए दोषी मानते हैं।
 
अराफात को श्रद्धांजलि देने के बाद वे कब्र के पास बने उनके संग्रहालय भी जाएंगे। वे 15 माह पहले बने यासेर अराफात के संग्रहालय में करीब 20 मिनट बिताएंगे। इस संग्रहालय में पूर्व फिलीस्तीनी नेता की जीवनगाथा बताई गई है। अराफात संग्रहालय के निदेशक मुहम्मद  हलायका के अनुसार इस संग्रहालय का दौरा करने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री होंगे। 
 
इसके बाद राष्ट्रपति अब्बास मोदी की अगवानी करेंगे और दोनों नेता चर्चा करेंगे, द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे, संयुक्त संवाददाता सम्मेलन करेंगे और दोपहर का भोजन करेंगे। इसके बाद मोदी अम्मान रवाना हो जाएंगे। वहां से 1 दिन बाद मोदी 2 दिवसीय  यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात जाएंगे। (भाषा) 

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी