what happened in bangladesh : आरक्षण को लेकर छात्रों के हिंसक प्रदर्शन के बीच दक्षिण एशिया की आयरन लेडी शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा। दुनिया की सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महिला शेख हसीना को पिछले कई दिनों से देश में सत्ता विरोधी प्रदर्शनों का सामना करना पड़ रहा था। हसीना इस बार हालातों पर काबू नहीं कर पाईं। प्रधानमंत्री शेख हसीना 2009 से बांग्लादेश की सत्ता चला रही थीं। शेख हसीना ने तीन विवादित आम चुनाव भी जीते। इन चुनावों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचना भी उन्हें झेलनी पड़ी। बांग्लादेश के वर्तमान हालात और उम्र को देखते हुए लगता नहीं कि वे राजनीति में वापसी कर पाएं।
बांग्लादेश में मुक्ति संग्राम सैनानियों को नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के आंदोलन के उग्र रूप लेने के बाद रविवार को राजधानी ढाका में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, जिसमें पुलिसकर्मियों सहित सैकड़ों लोगों की मौत हो गई। ढाका की सड़कों पर आंदोलनकारियों का सैलाब उमड़ा हुआ था।
विरोधियों को दबाने का आरोप : शेख हसीना को एकजुट विपक्ष, आर्थिक मंदी और उनके शासन के बिगड़ते मानवाधिकार रिकॉर्ड के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ रहा थे क्योंकि पिछले कुछ दिनों में बांग्लादेश में नए विरोध प्रदर्शन बढ़े। हसीना पर राजनीतिक विपक्ष पर बढ़ते हमलों के साथ-साथ नागरिक समाज पर नकेल कसने का आरोप है।
विरोधियों का कहना है कि हसीना का तानाशाही रवैया बांग्लादेश की जनता को पसंद नहीं आया। छात्रों के प्रदर्शन ने शेख हसीना के तख्त को हिलाकर रख दिया। विरोधियों आरोप लगाते रहे कि शेख हसीना कभी भी समूचे देश की प्रधानमंत्री नहीं बनीं बल्कि एक समूह की ही प्रधानमंत्री बनकर रह गईं। जानकारों के अनुसार शेख हसीना सरकार की तानाशाही प्रवृति ने समाज के एक बड़े वर्ग को आक्रोशित कर दिया था।