इस्लामाबाद। पाकिस्तान पहले से ही बिगड़ती अर्थव्यवस्था, भुखमरी और घंटों बिजली गुल रहने की मार झेल रहा है, ऐसे में पेट्रोल-डीजल की किल्लत ने मानो जैसे पाकिस्तान को गरीबी में आटा गीला वाली परिस्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। हालात तो जैसे सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल खत्म होने की वजह से लोगों की भारी संख्या में भीड़ जमा हो गई। मालिकों ने तो पेट्रोल पंप ही बंद कर दिए हैं।
पाकिस्तान की इकोनॉमी के हर अलग सेक्टर की पेट्रोल पर निर्भरता है। ट्रांसपोर्टेशन 59%, एनर्जी 32% और इंडस्ट्री की 8% निर्भरता है। पाकिस्तान UAE से 52%, कुवैत से 17% और ओमान से 7% पेट्रोल इंपोर्ट करवाता है। महंगाई से हाहाकार मचे देश ने पिछले कर्ज को चुकाने के लिए और ज्यादा कर्ज लिया है। उसे अब 2025 तक 73 बिलियन डॉलर्स का कर्ज चुकाना होगा, जो कि 22 सालों में 1,500 फीसदी तक बढ़ा है। देश का मुद्राकोष खाली होने की कगार पर आ चुका है।
ट्रेड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान की रिपोर्ट में ऑइल कंपनीज एडवाइजरी काउंसिल (OCAC) के अनुसार साल 2030 में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स 2019 के मुकाबले दोगुना हो जाएंगे। फलस्वरूप पाकिस्तान को पेट्रोलियम पदार्थ की घरेलू डिमांड को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर पैसा खर्च करना पड़ेगा।
पाकिस्तान का स्वदेशी तेल उत्पादन का केवल 1/5 हिस्सा ही देश की तेल की जरूरतों की आपूर्ति करता है बाकी डिमांड उच्च लागत वाले इंपोर्ट से पूरी की जाती है। फिलहाल में पाकिस्तान के पास कच्चे तेल के प्रसंस्करण का ढांचा अभी बना नहीं है। कुल 6 ऑइल रिफाइनरीज ही मौजूद हैं, पर ये देश की डिमांड को पूरा करने में असमर्थ हैं।
सारी रिफाइनरीज बहुत पुरानी हो चुकी हैं एवं वे अपनी पीक क्षमता पर काम करने में असमर्थ हैं। इस वजह से पाकिस्तान कच्चे तेल की बजाय ज्यादा रिफाइंड ऑइल इंपोर्ट करता है।
फसल कटने के समय पर भारी मशीनरी, उपकरण और परिवहन वाहन जैसे ट्रैक्टर एवं किसानों द्वारा सिंचाई के लिए ट्यूबवेल्स और थ्रेशर्स का उपयोग बढ़ने से एकदम से डिमांड में इज़ाफा हो जाता है, ऐसे में अपनी डूबती नैया को पार लगाने का सरकार के पास डीजल के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने का विकल्प है।