ट्रंप प्रशासन का भारत पर 'बयानों से वार': अमेरिकी वित्त मंत्री बोले- 'भारत ग्लोबल एक्टर नहीं', पाकिस्तान को पुचकारा!

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 (12:26 IST)
India US Relations : अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते में तनाव बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त से भारत से आने वाले सभी सामानों पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है, वहीं अब अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भारत पर तीखे बयान दिए हैं। बेसेंट ने न सिर्फ व्यापार वार्ताओं में भारत की धीमी गति पर निराशा जताई, बल्कि यह भी कह डाला कि भारत 'एक अच्छा वैश्विक खिलाड़ी नहीं रह गया है।' इतना ही नहीं, ट्रंप प्रशासन ने जहां भारत पर आर्थिक दबाव बढ़ाया है, वहीं पाकिस्तान के साथ तेल उत्खनन के लिए नई साझेदारी का प्रस्ताव देकर उसे 'पुचकारा' है।
 
ट्रंप प्रशासन की निराशा: 'भारत ग्लोबल एक्टर नहीं'
गुरुवार (31 जुलाई, 2025) को अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत पूरी अमेरिकी ट्रेड वार्ता टीम भारत के साथ व्यापार वार्ता को लेकर 'निराश' है। बेसेंट के मुताबिक, भारत व्यापार वार्ता की मेज पर तो जल्दी आया, लेकिन प्रक्रिया में बहुत धीमी गति से काम कर रहा है, जिससे राष्ट्रपति और उनकी टीम को परेशानी हुई है।
 
बेसेंट यहीं नहीं रुके। उन्होंने सीधे तौर पर भारत की वैश्विक भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, "भारत रूस से प्रतिबंधित कच्चे तेल का बड़ा खरीदार रहा है और उसे रिफाइंड उत्पादों के रूप में पुनः बेच रहा है, इसलिए भारत एक अच्छा वैश्विक खिलाड़ी नहीं रह गया है।" यह टिप्पणी तब आई है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से आने वाले सामानों पर 25% टैरिफ लगाने के साथ-साथ रूस से कच्चे तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर एक अज्ञात पेनल्टी भी लगाई है।
 
'डेड इकोनॉमी' का ताना और आर्थिक दबाव
उल्लेखनीय है कि इसके ठीक पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधा निशाना साधते हुए कहा था, 'मुझे परवाह नहीं कि भारत, रूस के साथ क्या करता है। वे चाहें तो अपनी डेड इकोनॉमी को एकसाथ ले डूबें, मुझे इससे क्या?' यह बयान न केवल रूस बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था पर भी सीधा हमला था, जो वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद और मजबूत आर्थिक संभावनाओं को देखते हुए काफी असामान्य माना गया।
 
अब अमेरिकी वित्त मंत्री का बयान, ट्रंप की टिप्पणियों को ही आगे बढ़ाता दिख रहा है, जिससे स्पष्ट है कि ट्रंप प्रशासन भारत पर चौतरफा दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। व्यापार बाधाएं, रूस से संबंध और अब भारत की वैश्विक भूमिका पर सवाल, ये सब अमेरिकी दबाव के नए आयाम हैं।
 
पाकिस्तान को 'पुचकारना': अमेरिका की नई कूटनीतिक चाल?
एक तरफ जहां अमेरिका भारत पर व्यापार को लेकर सख्ती दिखा रहा है और उसे रूस से संबंध रखने के लिए फटकार लगा रहा है, वहीं दूसरी ओर उसने पाकिस्तान के प्रति नरम रुख अपनाया है। ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान पर अभी तक टैरिफ लगाने की कोई बात नहीं कही है, बल्कि इसके विपरीत, पाकिस्तान के साथ तेल उत्खनन के लिए साझेदारी प्रस्तावित की है।
 
विशेषज्ञ इसे अमेरिकी कूटनीति की एक नई चाल मान रहे हैं। जहां भारत को चीन के मुकाबले एक रणनीतिक साझेदार के तौर पर देखा जाता रहा है, वहीं ट्रंप प्रशासन अब व्यापारिक हितों को सर्वोपरि रखकर पाकिस्तान को भी अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा है। यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों में और खटास पैदा कर सकता है।
 
भारत पर दोहरा दबाव: व्यापार और भू-राजनीति
अमेरिका के लगातार आक्रामक बयान और टैरिफ लगाने के फैसले से भारत पर दोहरा दबाव बन रहा है। एक ओर उसे अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था और MSME क्षेत्र को अमेरिकी उत्पादों से बचाना है, वहीं दूसरी ओर रूस के साथ अपने ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंधों को भी संतुलित रखना है। रूस से तेल खरीद और रक्षा सौदे भारत की ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिस पर अमेरिका सवाल उठा रहा है।
 
अगले हफ्ते (25 अगस्त को) अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत का दौरा करने वाला है, जहां द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा होनी है। इन बयानों और फैसलों के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह वार्ता किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या दोनों देश इन मतभेदों को सुलझाने का कोई रास्ता निकाल पाते हैं।

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