चीन की शह पर पाकिस्तान का परमाणु खेल क्यों बन रहा भारत के लिए खतरा?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

सोमवार, 26 मई 2025 (16:01 IST)
नई दिल्ली, 26 मई 2025: अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए) की ताजा वर्ल्ड थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट ने दक्षिण एशिया में एक खतरनाक सैन्य और परमाणु दौड़ की ओर इशारा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन के सैन्य और आर्थिक समर्थन से पाकिस्तान अपने परमाणु शस्त्रागार का तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है। इसमें युद्धक्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले टैक्टिकल परमाणु हथियारों का विकास भी शामिल है, जिसका स्पष्ट उद्देश्य भारत की पारंपरिक सैन्य शक्ति को चुनौती देना है। यह खुलासा क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी के रूप में सामने आया है।

पाकिस्तान की रणनीति: भारत को निशाना, चीन का साथ
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान भारत को अपने अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है। इसके जवाब में वह एक व्यापक सैन्य आधुनिकीकरण रणनीति पर काम कर रहा है। इस रणनीति का मकसद भारत की पारंपरिक सैन्य बढ़त को संतुलित करना है। इसके लिए पाकिस्तान न केवल अपने परमाणु हथियारों की संख्या और गुणवत्ता बढ़ा रहा है, बल्कि परमाणु सामग्री की सुरक्षा और कमांड-एंड-कंट्रोल तंत्र को भी मजबूत कर रहा है। डीआईए के मुताबिक, पाकिस्तान के सामूहिक विनाश के हथियार (वेपन्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन) कार्यक्रम के लिए जरूरी सामग्री और प्रौद्योगिकी मुख्य रूप से चीन से प्राप्त की जा रही है। इसके अलावा, हांगकांग, सिंगापुर, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के माध्यम से भी यह सहायता हासिल की जा रही है।

चीन-पाकिस्तान गठजोड़: अवसर और चुनौतियां
चीन और पाकिस्तान के बीच गहराता रणनीतिक सहयोग कोई नई बात नहीं है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) इसका एक प्रमुख उदाहरण है। हालांकि, यह सहयोग बिना चुनौतियों के नहीं है। 2024 में पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हुए आतंकवादी हमलों, जिसमें सात चीनी नागरिकों की हत्या हुई, ने दोनों देशों के बीच तनाव पैदा किया है। फिर भी, पाकिस्तान अपनी रक्षा और बुनियादी ढांचे की जरूरतों के लिए चीन पर निर्भर बना हुआ है।

टैक्टिकल परमाणु हथियार: दक्षिण एशिया में नया जोखिम
रिपोर्ट में सबसे चिंताजनक खुलासा यह है कि पाकिस्तान टैक्टिकल परमाणु हथियारों पर विशेष ध्यान दे रहा है। ये हथियार युद्धक्षेत्र में सीमित उपयोग के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और इन्हें भारत की पारंपरिक सैन्य शक्ति के खिलाफ एक रणनीतिक हथियार के रूप में देखा जा रहा है। डीआईए की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने "नो फर्स्ट यूज" नीति को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है, जिसका मतलब है कि वह परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल से भी पीछे नहीं हटेगा।

सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन-प्रोलिफरेशन के अनुमान के मुताबिक, 2024 तक पाकिस्तान के पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं, जो 1999 में डीआईए द्वारा अनुमानित 60-80 हथियारों से कहीं अधिक है। मौजूदा गति से, 2025 तक यह संख्या 200 तक पहुंच सकती है। पाकिस्तान की इस गोपनीयता और तेजी से बढ़ते परमाणु शस्त्रागार ने क्षेत्रीय और वैश्विक चिंताओं को बढ़ा दिया है।

भारत की रणनीति: चीन पर नजर, पाकिस्तान को प्रबंधन
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि जहां पाकिस्तान का पूरा ध्यान भारत पर केंद्रित है, वहीं भारत अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं में चीन को प्राथमिक खतरे के रूप में देखता है। पाकिस्तान को भारत एक द्वितीयक सुरक्षा समस्या मानता है, जिसे प्रबंधित करने की आवश्यकता है। हाल के वर्षों में भारत-चीन सीमा तनाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा ने इस दृष्टिकोण को और पुख्ता किया है।

डीआईए ने हाल के पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सैन्य झड़पों का भी जिक्र किया है। अस्थायी शांति के बावजूद, दोनों देशों के बीच सतत संवाद की कमी और सैन्य क्षमताओं के विस्तार ने भविष्य में तनाव बढ़ने की आशंका को बल दिया है। पाकिस्तान का चीन के साथ गहराता रिश्ता और परमाणु हथियारों पर उसका बढ़ता फोकस क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरण को और जटिल बना रहा है।

दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सुरक्षा पर मंडराता खतरा
डीआईए का निष्कर्ष है कि दक्षिण एशिया परमाणु जोखिम, सीमा पार तनाव और भारत, पाकिस्तान व चीन के बीच बदलते शक्ति संतुलन के कारण संभावित संघर्ष का केंद्र बना हुआ है। जैसे-जैसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है, वैश्विक समुदाय की नजर इस क्षेत्र पर टिकी है।

पाकिस्तान का परमाणु आधुनिकीकरण और चीन का इसमें सहयोग दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है। भारत को न केवल अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करना होगा, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर इस मुद्दे को उठाकर एक संतुलित और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करना होगा। यह समय सतर्कता और कूटनीति का है, ताकि इस क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे।
(स्रोत: डीआईए वर्ल्ड थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन-प्रोलिफरेशन)

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