जी-20 भारत ने दिया सूचना आदान-प्रदान पर जोर

रविवार, 22 अप्रैल 2012 (01:19 IST)
देश से बाहर होने वाले लेन-देन में वृद्धि और बढ़ती कर अपवंचना से चिंतित भारत ने विभिन्न देशों के बीच सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान पर जोर दिया ताकि इस समस्या से निपटा जा सके।

वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने जी-20 देशों की मंत्रिस्तरीय बैठक में कहा कि भारत का मानना है कि सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान, स्वैच्छिक कर अनुपालन और कर चोरी कम करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से है और इसे सबके लिए अनिवार्य बनाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि अमीर और विकासशील देशों के समूह जी-20 को कर-चोरी की पनाहगाहों और बैंकिंग गोपनीयता में भरोसा करने वालों को ऐसी छूट न देने के लिए दबाव डालना चाहिए जिससे कर संबंध में हुए वैश्विक समझौते के असर को ही प्रभावहीन कर दिया जाए। आपसी प्रशासनिक सहायता के संबंध में बहुस्तरीय समझौते के तहत सदस्य देश कर मामलों में आपसी प्रशासनिक सहायता प्रदान करते हैं।

मुखर्जी ने कहा कि इस समझौते को वास्तव में प्रभावी बनाने के लिए जी-20 को आह्वान करना चाहिए कि अपतटीय वित्तीय केंद्र और पारंपरिक तौर पर बैंकिंग गोपनीयता में भरोसा करने वाले देश इस समझौते पर हस्ताक्षर करें। साथ ही उस देश को छूट नहीं देना चाहिए जो इस समझौते असर को कम करने की कोशिश करते हैं।

उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश की नीतियों को लचीला बनाने के साथ विदेशी सौदों में भारी बढ़ोतरी हुई है जिससे कर चोरी के मामलों और धन के गैरकानूनी प्रवाह के मामले सामने आते हैं जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर चुनौती हैं। (भाषा)

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