Jain muni Acharya Vidyasagar ji Maharaj: हमें हर मौसम में अपनी आवश्यकताओं तथा सुविधानुसार हर एक चीज की जरूरत होती है। जैसे सर्दी आ गई तो स्वेटर, गरम खाना, गद्दा, बिस्तर, रजाई। गर्मीं आ गई तो सूती वस्त्र, पंखा, एसी की ठंडी हवा, पीने को ठंडा-ठंडा पानी, शीतल पेय पदार्थ। बरसात आ गई तो छाता, गरमा-गरम चाय, खाना आदि। इस तरह हमारी जरूरतें हर मौसम के अनुसार बदलती रहती हैं और हम उन्हें जीवन में अपने जरूरत के अनुसार अपनाते भी हैं।
जैन धर्म के प्रमुख गुरु, संत एवं मुनि आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज एक ऐसे महान संत, जिन्होंने हर मौसम में बिना उन सभी सुख-सुविधाओं के अपना जीवन जिया जो हम सभी के लिए अतिआवश्यक होती है। लेकिन जैन मुनि एक ऐसे संत हैं, जिन्हें ना ठंड में, ना बारिश में और ना ही गर्मी के मौसम में इन सासांरिक वस्तुओं की आवश्यकता होती हैं।
आइए यहां आप भी जानिए आचार्य विद्यासागर महाराज जी के त्याग के बारे में 31 विशेष बातें...
1. आजीवन तेल का त्याग,
2. आजीवन दही का त्याग,
3. ड्रायफ्रूट्स (सूखे मेवा) का त्याग,
4. आजीवन शकर का त्याग
5. आजीवन नमक का त्याग
6. आजीवन चटाई का त्याग
7. आजीवन हरी सब्जी का त्याग,
8. फलों का त्याग,
9. अंग्रेजी औषधि का त्याग,
10. सीमित ग्रास भोजन,
11. सीमित अंजुली जल, 365 ही दिन 24 घंटे में मात्र एक बार,
12. सभी प्रकार के भौतिक साधनों का त्याग,
13. थूकने का त्याग,
14. बिना चादर, गद्दे और तकिए के सिर्फ तखत पर एक करवट में शयन किसी भी मौसम में,
15. शहर से दूर खुले मैदानों में, नदी के किनारो पर अथवा पहाड़ो पर अपनी साधना करना,
16. अनियत विहारी यानी बिना बताएं विहार करना,
17. आचार्य देशभूषण जी महाराज जी से जब ब्रह्मचारी व्रत से लिए स्वीकृति नहीं मिली तो 3 दिवस निर्जला उपवास करके 'हां' की स्वीकृति लेकर मानें।
18. कठिन दिनचर्या और जीवन के बाद भी स्वर्ग के देव जैसी उनकी मुख मुद्रा।
19. शरीर का तेज ऐसा, जिसके आगे सूरज का तेज भी फीका और कांति में चांद भी फीका, ऐसे एकमात्र मुनि।
20. एक ऐसे संत जो सभी धर्मो में पूजनीय।
21. पूरे भारत में सबसे ज्यादा दीक्षा देने वाले गुरु।
22. प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति सभी के पद से अप्रभावित गुरु, सिर्फ अपनी साधना में रत।
23. मुनि दीक्षाएं, पीछी परिवर्तन आदि खास उदाहरण प्रचार-प्रसार से दूर रहकर किए।
24. पूरे भारत में एक ऐसे आचार्यश्री जिनका लगभग पूरा परिवार ही संयम के साथ मोक्षमार्ग पर है।
25. मुनि बनने से पूर्व ब्रह्मचारी अवस्था में भी परिवारजनों से चर्चा करने हेतु अपने गुरु से स्वीकृति लेना और परिजनों को भी पहले अपने गुरु के पास स्वीकृति लेने भेजना।
26. हजारों बालिकाओ को संस्कारित आधुनिक स्कूल का निर्माण।
27. एक ऐसे आचार्य भगवंत जो न केवल मानव समाज के उत्थान के लिए दूर की सोचते है, वरन् मूक प्राणियों के लिए भी उनके करुण ह्रदय में उतना ही स्थान था।
28. हजारों गाय की रक्षा और गौशाला का निर्माण किया।
29. समाधि संलेखन के समय में आचार्य पद का त्याग और 3 दिन का उपवास और मौन धारण किया।
30. पूरे देश में मुनि आचार्यश्री विद्यासागर ने पैदल ही भ्रमण किया।
31. सबसे खास और आखिरी बात- कोई बैंक का खाता नहीं, कोई ट्रस्ट नहीं, कोई जेब नहीं, कोई मोह-माया नहीं। अरबों रुपए जिनके ऊपर निछावर होते है उन गुरुदेव के कभी धन को स्पर्श नही किया।
संकलन एवं प्रस्तुति: आरके.
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