Farooq Abdullah's statement regarding the death of 3 innocents : नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने मंगलवार को कहा कि सेना के अधिकारियों को बदलने से पुंछ में हिरासत में हुई आम नागरिकों की मौत के मामले का समाधान नहीं होगा। अब्दुल्ला (Abdullah) ने यह पता लगाने के लिए जांच का आह्वान किया कि सेना द्वारा हिरासत में लिए गए निर्दोष लोगों को इतना 'प्रताड़ित' क्यों किया गया कि उनकी मौत हो गई।
पुंछ जिले में पिछले गुरुवार को सेना के वाहनों पर आतंकवादियों द्वारा किए गए भीषण हमले के बाद सेना द्वारा पूछताछ के लिए उठाए गए 3 नागरिक मृत मिले थे। अब्दुल्ला ने यहां कहा कि शांतिप्रिय 8 नागरिकों को हिरासत में लिया गया और उनमें से 3 को बहुत बेरहमी से पीटा गया और उनके घावों पर मिर्च पाउडर छिड़का गया। उनमें से 3 यह यातना सहन नहीं कर सके और उन्होंने दम तोड़ दिया। 5 अन्य लोग अस्पताल में हैं। पीड़ितों में से एक का भाई सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में है और पिछले 24 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहा है। अब उसका कहना है कि उसे देश के प्रति अपनी सेवाओं के बदले में भाई की मौत मिली है।
हम किस भारत में रह रहे हैं? : उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख ने उत्तरी कमान के कमांडर को भी यहां से देहरादून स्थित अकादमी भेजा है, लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं होगा। इसकी जांच होनी चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ? यदि निर्दोष लोग, जिनका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है, इस तरह से मारे जाते हैं तो हम किस भारत में रह रहे हैं?
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष ने कहा कि क्या यह महात्मा गांधी का भारत है, जहां हम शांति से रह सकते हैं? नफरत इतनी फैल गई है कि हिन्दू और मुसलमान खुद को एक-दूसरे का दुश्मन समझते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद खत्म होने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दावों को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि 4 साल पहले गृहमंत्री ने चेन्नई में एक भाषण दिया था, जहां उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद-370 जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के लिए जिम्मेदार था। अब कश्मीर में आतंकवाद खत्म होगा और विकास परवान चढ़ेगा। 4 साल बाद उन्होंने संसद में भाषण दिया और कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है। ये कितना झूठ बोल रहे हैं? आतंकवाद खत्म नहीं हुआ है, बढ़ता ही जा रहा है। प्रशिक्षित आतंकवादी आ रहे हैं और वे पकड़े नहीं जाते। निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
भारत के पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की जरूरत को लेकर किए गए एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रसिद्ध बयान का उल्लेख किया कि 'हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं बदल सकते'।
उन्होंने कहा कि अगर हम पड़ोसियों के साथ दोस्ती में रहेंगे तो हम दोनों समृद्ध होंगे लेकिन अगर हम दुश्मनी में रहेंगे तो हम तेजी से प्रगति नहीं कर पाएंगे। मोदीजी ने भी कहा है कि युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है और मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करना होगा। वह संवाद कहां है?(भाषा)