मजेदार बाल कविता : गिलकी और करेला

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
गोल टमाटर पहुंचा गिलकी,
के संग ब्याह रचाने।
 
लेकिन उसको डांट भगाया,
गिलकी की अम्मा ने।
 
बोली गिलकी बिटिया को तो,
लगता भला करेला।
 
बचपन से ही साथ पढ़ा है,
संग साथ में खेला।
 
दोनों हरे-हरे हैं तन के,
बूढ़ों को भाते हैं।
 
इनकी साग बनाकर निर्बल,
रोगी जन खाते हैं।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

ALSO READ: बच्चों की कविता : सब नतमस्तक

ALSO READ: 5 Poems for Kids : बच्चों की 5 मजेदार बाल कविताएं
 

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख