lal kitab: कुंडली के चक्र में मुख्य रूप से 9 ग्रह होते हैं जो इस प्रकार है- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु। राहु और केतु छाया ग्रह है। अधिकतर लोग मानते हैं कि शनि ग्रह का प्रभाव सबसे खतरनाक होता है परंतु ऐसा नहीं है। फिर कुछ लोग मानते हैं कि मायावी ग्रह राहू सबसे खतरनाक ग्रह है परंतु ऐसा भी नहीं है। अब बचे 7 ग्रह, तो जानिए कि इनमें में सबसे खतरनाक ग्रह कौनसा है और यदि आप इस ग्रह की चाल से बच गए तो समझो की जीवन की आधी से ज्यादा समस्याओं से बच जाओगे।
केतु का परिचय:
देवता: गणेश
गुण: सुनना
पेशा: कुली, मजदूर
रंग: कपोत, धूम्र वर्ण
पक्का घर: 6
श्रेष्ठ घर: 3,6,9,10,12,
मन्दे घर: 6,7,11
उच्च: 5,9,12
नीच: 6,8
मसनूई उच्च: शुक्र-शनि
मसनूई नीच: चन्द्र-शनि
जाति: शुद्र
दिशा: वायव्य कोण
गोत्र: जैमिनी
राशि: मित्र- शु.रा., शत्रु- म.च., बृ.बु.श.
भ्रमण काल: एक राशि में डेढ़ वर्ष
शक्ति: चलना, मिलना
वस्तु: द्विरंगा पत्थर
सिफत: धर्मज्ञानी
शरीर का भाग: कान, रीढ़, घुटने, लिंग, जोड़, पूरा धड़
पोशाक: दुपट्टा, कंबल, ओढ़नी
पशु: कुत्ता, गधा, सूअर, छिपकली
वृक्ष: इमली का दरख्त, तिल के पौधे, केला
मंगल केतु: मंगल के साथ केतु का होना बहुत ही खराब माना गया है। इसे शेर और कुत्ते की लड़ाई समझें।
चंद्र केतु: चंद्र के साथ होने से चंद्र ग्रहण माना जाता है।
केतु मंडल: छायाग्रह चन्द्रमा के पथ का द्योतक है। केतु का मंडल ध्वजाकार माना गया है। यही कारण है कि यह आकाश में लहराती ध्वजा के समान दिखाई देता है।
केतु क्या करता है?
केतु को लाल किताब और भृगु नंदी नाड़ी ज्योतिष में सभी तरह के कार्यों में रोड़ा अटकाने वाला ग्रह माना गया है। इसे डेस्टिनी ब्रेकर भी कहते हैं। यह अच्छा फल भी देता है लेकिन उसके लिए शुक्र का अच्छा होना और केतु का नेक होना जरूरी है। यदि फेफड़ें, पेट और पैर में किसी भी प्रकार का विकार है तो आप केतु के शिकार हैं।
केतु के खराब होने के लक्षण:
केतु की महादशा 7 साल की होती है। किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ स्थान पर रहने पर यह अनिष्टकारी हो जाता है। ऐसे केतु का प्रभाव व्यक्ति को रोगी बना देता है। मुंह से अनायास ही अपशब्द निकल जाते हैं। कोई मरणासन्न या पागल कुत्ता दिखाई देता है। घर में आकर कोई पक्षी प्राण त्याग देता है। अचानक अच्छी या बुरी खबरें सुनने को मिलती हैं। हड्डियों से जुड़ीं परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पैर का नाखून टूटता या खराब होने लगता है। किसी स्थान पर गिरने एवं फिसलने की स्थिति बनती है। भ्रम होने के कारण व्यक्ति से हास्यास्पद गलतियां होती हैं। रात में मन में भय बना रहता है। घर में कोई लंबी बीमारी से ग्रस्त है। जातक को मूत्र संबंधी या जोड़ों की बीमारी हो जाती है और संतान को भी कष्ट होता है। केतु के खराब होने से व्यक्ति पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट और गृहकलह से ग्रस्त रहता है। मंदा केतु पैर, कान, रीढ़, घुटने, लिंग और किडनीके रोग पैदा कर सकता है।
कैसे होता है केतु खराब?
जो व्यक्ति जुबान और दिल से गंदा है और रात होते ही जो रंग बदल देता है वह केतु का शिकार माना जाता है। यदि व्यक्ति किसी के साथ धोखा, फरेब, अत्याचार करता है तो केतु उसके पैरों से ऊपर चढ़ने लगता है और ऐसे व्यक्ति के जीवन की सारी गतिविधियां रुकने लगती है। नौकरी, धंधा, खाना और पीना सभी बंद होने लगता है। ऐसा व्यक्ति सड़क पर या जेल में सोता है घर पर नहीं। उसकी रात की नींद हराम रहती है, लेकिन दिन में सोकर वह सभी जीवन समर्थक कार्यों से दूर होता जाता है। धर्म और कुल परंपरा को जो जातक नहीं मानता है और उनका अपमान करता रहता है तो अच्छा केतु भी खराब प्रभाव देने लगता है।
अच्छे केतु का फल: केतु के अच्छा होने से व्यक्ति पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख उठाता है और रात की नींद चैन से सोता है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार का संकट नहीं रहता है।
केतु का स्थान: घर में खिड़कियां, दरवाजे, कोने और छत केतु का स्थान हैं। इनमें किसी भी प्रकार का वास्तु दोष से तो घर की संतानों पर इसका बुरा असर पड़ता है। अचानक से कोई घटना घटती है। जातक जीवनभर धोखे खाता रहता है।
केतु का मकान: केतु का मकान अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। केतु के मकान की निशानी है कि यह मकान कोने का होगा। तीन तरफ मकान एक तरफ खुला या तीन तरफ खुला हुआ और एक तरफ कोई साथी मकान या खुद उस मकान में तीन तरफ खुला होगा। यदि केतु के मकान है तो केतु के मकान में नर संतानें लड़के चाहे पोते हों, लेकिन कुल तीन ही होंगे। इस मकान में बच्चों से संबंधित, खिड़कियां, दरवाजे, बुरी हवा, अचानक धोखा होने का खतरा रहता है। हो सकता है कि मकान के आसपास इमली का वृक्ष, तिल के पौधे या केले का वृक्ष हो।
केतु से बचने के उपाय:
1. खाना नंबर एक : यदि आपकी कुंडली के पहले भाव में राहु और सातवें भाव में केतु हो तो चांदी की ठोस गोली अपने पास रखें।
2. खाना नंबर दो : यदि आपकी कुंडली के दूसरे भाव में राहु और आठवें में केतु हो तो दो रंग या ज्यादा रंगों वाला कंबल दान करें।
3. खाना नंबर तीन : यदि आपकी कुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवम भाव में केतु हो तो सोना धारण करें। बाएं हाथ की कनिष्ठा में सोने का छल्ला पहनें या चने की दाल बहते पानी में बहाएं।
4. खाना नंबर चार : यदि आपकी कुंडली के चौथे भाव में राहु और दसम भाव में केतु हो तो चांदी की डिब्बी में शहद भरकर घर के बाहर जमीन में दबाएं।
5. खाना नंबर पांच : यदि आपकी कुंडली के पांचवें भाव में राहु और ग्यारहवें भाव में केतु हो तो घर में चांदी का ठोस हाथी रखें।
6. खाना नंबर छह : यदि आपकी कुंडली के छठे भाव में राहु और बारहवें भाव में केतु हो तो बहन की सेवा करें, ताजे फूल अपने पास रखें व कुत्ता पालें।
7. खाना नंबर सात : यदि आपकी कुंडली के सातवें भाव में राहु और पहले भाव में केतु हो तो लोहे की गोली को लाल रंग से रंगकर अपने पास रखें। चांदी की डिब्बी में बहते पानी का जल भरकर उसमें चांदी का एक चौकोर टुकड़ा डालकर तथा डिब्बी को बंद करके घर में रखने की सलाह दी जाती है। ध्यान रखते रहें कि डिब्बी का जल सूखे नहीं।
8. खाना नंबर आठ : यदि आपकी कुंडली के अष्टम भाव में राहु और दूसरे भाव में केतु हो तो 800 ग्राम सिक्कों के आठ टुकड़े करके एकसाथ बहते पानी में प्रवाहित करना अच्छा होगा।
9. खाना नंबर नौ : यदि आपकी कुंडली के नवम भाव में राहु और तीसरे भाव में केतु हो तो चने की दाल पानी में प्रवाहित करें। चांदी की ईंट बनवाकर घर में रखें।
10. खाना नंबर दस : यदि आपकी कुंडली के दसम भाव में राहु और चौथे भाव में केतु हो तो पीतल के बर्तन में बहती नदी या नहर का पानी भरकर घर में रखना चाहिए। उस पर चांदी का ढक्कन हो तो अतिउत्तम।
11. खाना नंबर ग्यारह : आपकी कुंडली के ग्यारहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु होने पर 400 ग्राम सिक्के के 10 टुकड़े कराकर एकसाथ बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। इसके अलावा 43 दिनों तक गाजर या मूली लेकर सोते समय सिरहाने रखकर सुबह मंदिर आदि में दान कर दें।
12. खाना नंबर बारह : यदि आपकी कुंडली के बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु हो तो लाल रंग की बोरी के आकार की थैली बनाकर उसमें सौंफ या खांड भरकर सोने वाले कमरे में रखना चाहिए। कपड़ा चमकीला न हों। केतु के लिए सोने के जेवर पहनना उत्तम होगा।