मिस्त्री ने कहा कि टाटा समूह ने टाटा स्टील यूरोप के परिचालन में जो भारी पूंजी लगाई है, उस पर घाटा होना समूचे समूह के समक्ष जोखिमभरा है। गौरतलब है कि मिस्त्री टाटा समूह की धारक कंपनी टाटा संस और विभिन्न कारोबारी कंपनियों के चेयरमैन पद से हटाए जा चुके हैं और अब उन्हें कंपनियों के निदेशक मंडल से हटाने का प्रस्ताव है।
उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया कि उनके नेतृत्व में टाटा स्टील के निदेशक मंडल ने ब्रिटेन के निवेश को लघु अवधि के नफे-नुकसान के चश्मे से देखा। उन्होंने कहा कि यह सच से काफी दूर है। टाटा स्टील की असाधारण आम बैठक से पहले निदेशक मंडल को लिखे पत्र में मिस्त्री ने कहा कि इस कदम का एकमात्र आधार उन्हें टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना है जिसकी शुरुआत ही गैरकानूनी है।
उन्होंने लिखा है कि इस तरह की धारणा बनाई जा रही है कि टाटा स्टील ने अपने ब्रिटेन के निवेश को लघु अवधि के वित्तीय चश्मे से देखा। यह सच से काफी दूर की बात है। मिस्त्री ने बोर्ड से उनके इस पत्र को शेयरधारकों को भी भेजने को कहा है कि जिससे वे अपना निर्णय पूरी सूचना के आधार पर करें। मिस्त्री ने यूरोपीय परिचालन की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि वहां जो कुल पूंजी लगाई गई है उस पर नकारात्मक रिटर्न मिल रहा है जिससे पूरे समूह के समक्ष जोखिम है।
उन्होंने कहा कि टाटा स्टील यूरोप में लगाई गई कुल पूंजी 2011-12 के 67,000 करोड़ रुपए से 2014-15 में 93,500 रुपए हो गई है। ब्रिटेन के कारोबार को बेचने के फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा मसले के दीर्घावधि के समाधान को यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि कंपनी के करीब 10 लाख शेयरधारकों की जरूरतों को संतुलित किया। इन शेयरधारकों ने दशकों से कंपनी का समर्थन किया है। (भाषा)