सभी नागरिकों को बैंकिंग और अन्य वित्तीय सेवाएं विस्तृत और समान रूप से उपलब्ध हैं, इसलिए यह फैसला लिया गया है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की अध्यक्षता में एक समिति ने 2008 में देश में ब्याज-रहित बैंकिंग के मुद्दे पर गहराई से विचार करने की जरूरत पर जोर दिया था।
इस पर सरकार ने आरबीआई से इस्लामिक बैंकिंग पर जानकारी मांगी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने इंटर-डिपार्टमेंटल ग्रुप (आईडीजी) गठित किया। आईडीजी ने देश में ब्याजमुक्त बैंकिंग प्रणाली शुरू करने के कानूनी, तकनीकी और रेग्युलेटरी पहलुओं की जांच कर सरकार को रिपोर्ट दी। आरबीआई ने पिछले साल फरवरी में आईडीजी रिपोर्ट की एक कॉपी वित्त मंत्रालय को भेजी और धीरे-धीरे शरिया बैंकिंग सिस्टम शुरू करने के लिए बैंकों में ही एक इस्लामिक विंडो खोलने का सुझाव दिया था।