आशीष नेहरा, आंकड़े झूठ बोलते हैं

शराफत खान
पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज़ आकाश चोपड़ा इन दिनों क्रिकेट कॉमेंट्री कर रहे हैं और बहुत ख़ूब कर रहे हैं। आकाश चोपड़ा ने क्रिकेट की छुपी कहानियां अपनी किताब 'नंबर्स डू लाई' में बताई हैं। चोपड़ा की इस किताब का शीर्षक दिलचस्प है और इसमें क्रिकेट की कई ऐसी बातें बताई गई हैं, जो आंकड़ों की शक्ल में भ्रामक नजर आती हैं, शायद इसलिए किताब का शीर्षक रखा गया है कि आंकड़े झूठ बोलते हैं। इस बात का आशीष नेहरा से क्या ताल्लुक? नेहरा आज दिल्ली में अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का अंतिम मैच खेल रहे हैं। 
 
आकड़ों में कहा जा रहा है कि नेहरा भारत के सबसे लंबे करियर वाले खिलाड़ी हैं। उनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर 18 साल 250 दिनों तक चला। सचिन तेंदुलकर के बाद वे सबसे लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले भारतीय खिलाड़ी हैं। नेहरा के रिकॉर्ड में ये आंकड़े लिखने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अगर आंकड़ों की बारीकी से जांच की जाए तो लगता है कि नेहरा को सचिन तेंदुलकर के साथ इस लिस्ट में दूसरे पायदान पर खड़ा करके भारत के कुछ महान क्रिकेटरों के साथ अन्याय हुआ है। यह अन्याय किसी ने जानबूझकर नहीं किया बल्कि आंकड़ों को क्रम के व्यवस्थि करने में यह बाज़ीगरी खुद ही हो गई। 
 
कपिल देव का नाम सबसे लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर वाले खिलाड़ियों की सूची में बहुत नीचे हैं, जबकि कपिल के नाम यह इतिहास लिखा जा चुका है कि 1978 में अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत करने के बाद वे 1994 तक वे किसी भी टेस्ट सीरीज़ के लिए कभी टीम से नहीं निकाले गए। अपने पूरे 131 टेस्ट के करियर में सिर्फ एक टेस्ट में वे किसी अंदरुनी वजह से टीम का हिस्सा नहीं थे, वरना प्रदर्शन और फिटनेस के कारण वे कभी बाहर नहीं हुए। और दूसरे तमाम क्रिकेट के रिकॉर्ड के अलावा कपिल को भारत का 'सदी का क्रिकेटर' भी घोषित किया गया है, लेकिन सदी का यह महान क्रिकेटर लंबे करियर के रिकॉर्ड में उस आशीष नेहरा से पीछे हैं, जिन्होंने केवल अपने लगभग 19 साल लंबे करियर में केवल 17 टेस्ट खेलकर 44 विकेट लिए हैं। 
 
कपिल अपने करियर में एक टेस्ट को छोड़कर कभी टीम से बाहर नहीं हुए और नेहरा ने अपना पिछला टेस्ट अप्रैल 2004 में खेला था, याने 13 साल पहले। वनडे क्रिकेट में नेहरा 2005 से 2009 के बीच लगभग पांच सालों तक टीम का हिस्सा नहीं थे। लेकिन जो रिकॉर्ड नेहरा के नाम बन रहा है, उसका इन सभी दलीलों से कोई नाता नहीं। महत्व तो प्रारंभिक बिंदु और अंतिम बिंदु का है।  
 
कपिल के अलावा एक और गेंदबाज़ का उदाहरण है जो टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे सफल गेंदबाज़ हैं। यहां अनिल कुबंले की बात हो रही है। कुंबले का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर 1990 से लेकर 2008 तक चला और वे बहुत कम मौकों पर भारतीय टीम से बाहर हुए हैं। कुंबले का नाम भी इस लिस्ट में नीचे ही है। इसी लिस्ट में पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर का भी नाम है जिनका अंतरराष्ट्रीय करियर लगातार 16 साल चला।  
 
आशीष नेहरा के इस रिकॉर्ड के लिए हम सभी खुश हैं, लेकिन इस दौड़ में कपिल, गावस्कर और कुंबले जैसे महान खिलाड़ियों  का पीछे रह जाना थोड़ा अखरता है। खैर, ऊपर जिक्र किया जा चुका है कि आंकड़े झूठ बोलते हैं।  

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