इंदौर के होलकर स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच वनडे मैचों की सीरीज का तीसरा मैच 24 सितंबर को खेला जाएगा। इस मैच को लेकर इंदौरियों का पागलपन कहें या फिर क्रिकेट की दीवानगी का नाम दें, उनके इस जुनून का प्रमाण आधी रात को देखने को मिला...
आधी रात बीच चुकी थी और सहर होने में कुछ घंटों का वक्त बाकी था। घड़ी रात के ढाई बजा रही थी। दफ्तर से लौटते वक्त होलकर स्टेडियम के नजारे को देखने का मन हुआ..लैंटर्न चौराहे पर बैरीकेड्स लगे हुए थे और स्टेडियम के हिरवानी द्वार पर लोगों का जमघट देखने को मिला।
पुलिसकर्मियों ने जंजीरा चौराहे से ही बैरीकेड्स लगा दिए थे। द्वार पर बाउंसरों के पीछे लंबी-लंबी कतारें लगीं थीं। कोई जमीन पर बैठा था तो कोई बिछावन साथ लेकर आया था। कोई चाय की चुस्की लेकर नींद भगा रहा था तो कोई हुजूम सेल्फी लेकर इस आधी रात के नजारे को कैमरे में कैद कर रहा था। 'मुगल ए आजम' का गीत याद आ गया..'जब रात है ऐसी मतवाली तो सुबह का आलम क्या होगा..'
थोड़ा सा आगे बढ़ने पर पता चला कि असली नजारा तो विवेकानंद स्कूल में है। वहां से जो लाइनें लगीं हैं तो वो जंजीरा चौराहे पर आकर खत्म हो रही है। कोई डेढ़ हजार लोग गैलरी की टिकट लेने के लिए विवेकानंद स्कूल में थे तो करीब तीन हजार लोग उसके बाहर...
रात बीतती जा रही थी और वहां गैलरी के सिर्फ दो टिकट पाने की चाहत रखने वाले क्रिकेट दीवानों का जुनून सिर चढ़कर बोल रहा था। क्रिकेट के मैच के प्रति ऐसी दीवानगी सुनी भर थी, लेकिन अब प्रत्यक्ष देखने को मिल रही थी। क्रिकेट भारत में धर्म की शक्ल अख्तियार कर चुका है, यह बात बिलकुल भी गलत नहीं थी..
पता चला है कि लोग सोमवार की दोपहर 12 बजे से लाइन में लगना शुरू हो गए थे और तीन बजे तक 1000 लोगों की कतार लग चुकी थी जो रात आते-आते साढ़े चार हजार तक पहुंच गई थी।
जिस वक्त इंदौर के लोग मीठी नींद के आगोश में थे, वहीं दूसरी तरफ विवेकानंद स्कूल से लेकर होलकर स्टेडियम के हिरवानी द्वार तक क्रिकेट के दीवाने रतजगा कर रहे थे। रात ढाई बजे इस क्षेत्र में ऐसा माहौल था मानों शाम के सात या आठ बजे हों...
इंदौर में फुरसतियों की कमी नहीं है और जब मामला वनडे के ऑस्ट्रेलिया और भारत के इतने बड़े मैच का हो तो उन्हें क्रिकेट के नाम पर एक रात कुर्बान करने में कोई गुरेज नहीं था। ऐसा ही कुछ नजारा देर रात देखने को मिला।
यह बात भी दीगर है कि जिन लोगों ने रात काली की उन्हें टिकट मिले भी या नहीं, कोई नहीं जानता क्योंकि सुबह भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। यही नहीं पुलिसवालों ने टोकन भी बड़ी संख्या में बांटे... ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि 8 घंटे के भीतर 17 हजार टिकट बिक गए जबकि स्टेडियम की दर्शक क्षमता 27 हजार है, जबकि इंदौर की आबादी 35 लाख के ऊपर है...
वैसे मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी (सीईओ) टिकट वितरण पर पैनी नजर रख रहे थे। मंगलवार को शाम साढ़े पांच बजे माइक के जरिए लगातार कहा जा रहा था कि मैच के सारे टिकट खत्म हो गए हैं, जो कतार में खड़े हैं, वे चले जाएं लेकिन इसके बाद भी हजारों क्रिकेट प्रेमियों को टिकट की आस थी...
दरअसल, आज के युवाओं में क्रिकेट मैच का टिकट हासिल करना और स्टेडियम में जाकर मैच देखना एक प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। यही नहीं, जिन लोगों के हाथों में मैच का टिकट आ जाता है, वे सोशल मीडिया के जरिए खुद को सबसे बड़ा भाग्यशाली मानते हैं।
एकदिवसीय मैच का यह दीवानापन है कि हजारों की संख्या में लोग लाइनों में लगते हैं, सड़क पर बैठकर किसी तरह रात काटते हैं और 2 टिकट पाने की आस में अपनी सुख की काया को कष्ट देने में कोई गुरेज नहीं करते...
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सीरीज का तीसरा वनडे मैच भले ही 24 सितंबर को होलकर स्टेडियम में खेला जाएगा, लेकिन यहां पर माहौल कुछ इस तरह का बना हुआ है कि मानों कल ही मैच हो। मैच के सारे टिकट बिक चुके हैं और इसके बाद भी 'कुछ जुगाड़' हो जाए इसके चक्कर में कई लोग देर शाम तक चक्कर काटते रहे। कई लोगों के पास 'टोकन' होने के बाद भी वे टिकट नहीं हासिल कर सके।
सुबह, दोपहर, शाम और रात के वक्त होलकर स्टेडियम पर गजब का नजारा है। उषाराजे का द्वार बंद रहता है, इसके बाद भी देर शाम कई युवक, युवतियां और यहां तक कि कई लोग मय परिवार के माहौल को टटोलने के लिए चले आ रहे हैं...यह सिलसिला रात तक इसलिए भी चला क्योंकि मंगल को इंद्रदेवता मेहरबान रहे और बारिश नहीं हुई...