कप्तानी में टीम साथियों से नहीं मिला समर्थन : दिलशान

Webdunia
सोमवार, 29 अगस्त 2016 (19:27 IST)
दांबुला। हाल ही में संन्यास लेने वाले श्रीलंकाई क्रिकेटर तिलकरत्ने दिलशान ने कहा है कि उन्हें अपनी कप्तानी के दौरान टीम के पूर्व और कई मौजूदा खिलाड़ियों से समर्थन नहीं मिला।
दिलशान ने रविवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना आखिरी वनडे खेला था और उसके बाद संन्यास ले लिया। हालांकि उन्होंने रिटायरमेंट के साथ ही अपनी टीम के पूर्व और मौजूदा खिलाड़ियों के व्यवहार को लेकर भी सवाल उठा दिए। 
 
अप्रैल 2011 से जनवरी 2012 के बीच श्रीलंकाई टीम की कप्तानी को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनकी सबसे बड़ी चुनौती साथी खिलाड़ियों का समर्थन नहीं मिलना रहा।
 
दिलशान ने कहा कि मुझे टीम की 10 महीने तक कप्तानी के दौरान कई चुनौतियां झेलनी पड़ीं जिनमें कई टीम साथियों ने मेरी मदद नहीं की, वहीं अचानक से मुझे कप्तानी से हटा दिया गया जिससे मुझे काफी दुख पहुंचा। दिलशान को कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने के संन्यास के बाद कप्तान बनाया गया था। 
 
उन्होंने कहा कि मैं तो कप्तानी नहीं ही लेना चाहता था लेकिन श्रीलंका बोर्ड अध्यक्ष ने मुझे करीब 6 महीने तक इस पद को संभालने को कहा। दुर्भाग्य से उस समय तक मुथैया मुरलीधरन रिटायर हो चुके थे, नुवान कुलशेखरा भी चोटिल थे और अंजथा मेंडिस भी चोटिल थे। टीम में बहुत अधिक खिलाड़ी नहीं थे। एंजेलो मैथ्यूज भी चोटिल हो गए थे और गेंदबाजी बंद कर दी। यह मेरा दुर्भाग्य था लेकिन जब मैं पद से हट गया तो मैथ्यूज ने भी गेंदबाजी शुरू कर दी।
 
दिलशान ने मैथ्यूज पर अप्रत्यक्ष रूप से काफी सवाल उठाए और उनकी कप्तानी के दौरान गैर सहयोगात्मक रवैया रखने का भी आरोप लगाया। मैथ्यूज ने दिलशान की कप्तानी में 20 वनडे मैच खेले जिनमें केवल 9 में ही गेंदबाजी की तथा कहा कि मुझे अचानक जिस तरह से हटाया गया उससे मैं काफी दुखी हूं लेकिन मैं निजी मुद्दों को नहीं उठाना चाहता हूं। 
 
दिलशान ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के बाद मैंने सभी बातों को दरकिनार करते हुए नए सिरे से चीजें शुरू कीं। मैंने ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर सकारात्मक क्रिकेट खेली और वहां 500 रन बनाते हुए 'मैन ऑफ द सीरीज' का पुरस्कार जीता। मैंने हमेशा मैदान पर क्रिकेट का लुत्फ उठाया है और मेरे लिए यह कतई मायने नहीं रखता कि टीम का कप्तान कौन है?
 
उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा देश के लिए खेला है। मेरे लिए व्यक्तिगत चीजों की बजाय देशहित हमेशा सर्वोपरि रहा है। मैं इस बात को लेकर कभी भी परेशान नहीं रहा कि मुझे कप्तानी से हटाने के लिए कौन जिम्मेदार रहा है लेकिन मुझे इस बात का हमेशा अफसोस रहेगा कि मेरे पीठ पीछे यह सब घटित हो रहा था।
 
दिलशान ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी रहेगी कि मेरी कप्तानी में टीम में रहे युवा खिलाड़ी अब परिपक्व हो गए हैं और कम से कम 6 से 7 खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें मौका मिलने का इंतजार है। लोग मुझसे पूछते थे कि मैं युवा खिलाड़ियों पर इतना भरोसा क्यों जताता हूं? आप चांदीमल जैसे खिलाड़ियों को देखें तो आपको उत्तर मिल जाएगा। 
 
टेस्ट क्रिकेट से पहले ही संन्यास ले चुके दिलशान अगले महीने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2 ट्वंटी-20 मैचों के बाद अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को विराम दे देंगे। उन्होंने संन्यास लेने के अपने निर्णय के बारे में कहा कि यह अचानक लिया हुआ निर्णय है। 
 
उन्होंने कहा कि मैंने संन्यास के लिए पहले से कोई योजना नहीं बनाई थी। यह निर्णय मैंने लोगों के दबाव में नहीं लिया है बल्कि मुझे लगा कि यही सही समय है, जब मैं अपने खेल को विराम दे सकता हूं। 
 
उन्होंने कहा कि अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो अभी मैं 1-2 वर्ष आराम से खेलना जारी रख सकता हूं लेकिन मैं भविष्य की तरफ देख रहा हूं और मुझे लगता है कि यह संन्यास लेने का सही समय है। अगले विश्व कप के शुरू होने में सिर्फ डेढ़ वर्ष का समय बचा है और मुझे लगता है कि यह युवा खिलाड़ियों को टीम में जगह बनाने के लिए जरूरी है कि मैं उनके लिए जगह खाली करूं। (वार्ता) 
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