ब्रिटिश रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ने इसके बारे में जानकारी दी है। सोसायटी ने लिखा है कि एक ग्रह पुराने छोटे से सफेद क्षुद्र ग्रह के चारों ओर चक्कर लगा रहा है। रिसर्चरों के लिए यह खोज बिलकुल नई है। खोज करने वाले रिसर्चरों के दल के प्रमुख जेय फारिही यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर हैं। उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कहा है कि यह टीम के लिए एक झटके जैसा था। उनका कहना है कि अगर इसकी पुष्टि हो जाती है तो यह पहली बार होगा कि एक सफेद क्षुद्र ग्रह का चक्कर लगाने वाले ग्रह पर जीवन की संभावना हो।
फारिही का कहना है कि जब हमें कोई ग्रह मिलता है तो आमतौर पर इसका मतलब है कि वहां और भी बहुत कुछ है। रिसर्चरों को जहां इस ग्रह के होने की उम्मीद है वहां सफेद क्षुद्रग्रह का चक्कर लगाने वाले 65 चांद के बराबर आकार के खगोलिय पिंड हो सकते हैं। उनकी आपस में दूरी नहीं बदलती है क्योंकि ग्रह का गुरुत्वाकर्षण उन पर असर डालता है। इस हिसाब से ग्रह को इसके आसपास ही होना चाहिए। वैज्ञानिकों के लिए अब अगला कदम होगा इस ग्रह के अस्तित्व का सीधा सबूत ढूंढना।
हमारा सूरज भी किसी वक्त एक सफेद क्षुद्रग्रह में बदल जाएगा। कुछ अरब सालों में पहले यह एक लाल विशालकाय आकृति में बदलेगा फिल चपटा होगा और फिर पड़ोस के बुध और शुक्र ग्रह के साथ सहयोग बंद कर देगा। आखिर में खगोलिय निहारिका में एक ठंडा सफेद क्षुद्रग्रह ही बाकी बचेगा। ज्यादातर तारे इस तरह के राख की गेंद में बदल जाएंगे जिनका आकार पृथ्वी के बराबर होगा।
सफेद क्षुद्रग्रह की कक्षा में मौजूद ग्रहों पर पानी के तरल रूप में रहने की परिस्थितियां होंगी या नहीं, यह उनकी दूरी पर निर्भर करेगा। बहुत ज्यादा करीब के ग्रह बहुत गर्म होंगे जबकि बहुत दूर के ग्रह बेहद ठंडे। अंतरिक्ष विज्ञानियों ने जिस इलाके का पता लगाया है वहां परिस्थितियां 'बिलकुल सही' हैं। खोजा गया ग्रह अपने तारे की परिक्रमा पृथ्वी से सूर्य की दूरी की तुलना में 60 गुना कम दूरी पर रह कर रहा है।