जब महात्मा गांधी ने कहा था : समय कांग्रेस के गठन का मुख्य उद्देश्य भारत की आजादी था, लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात यह भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। हालांकि यह बात और है कि आजादी के बाद महात्मा गांधी ने कहा था कि कांग्रेस के गठन का उद्देश्य पूरा हो चुका है, अत: इसे खत्म कर देना चाहिए।
आजादी के बाद से लेकर 2014 तक 16 आम चुनावों में से कांग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत हासिल किया, जबकि 4 बार सत्तारुढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया। कांग्रेस भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सर्वाधिक समय तक सत्ता में रही। पहले चुनाव में कांग्रेस ने 364 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत प्राप्त किया था, लेकिन 16वीं लोकसभा में यही पार्टी 44 सीटों पर सिमट गई। हालांकि 2019 में कांग्रेस की सीटों में मामूली इजाफा हुआ और यह संख्या बढ़कर 52 हो गई।
1984 में चली कांग्रेस की आंधी : कांग्रेस ने 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने रिकॉर्ड 415 सीटें जीती थीं। यह अब तक के सभी चुनावों का सर्वोच्च आंकड़ा है। इस चुनाव में कांग्रेस की ऐसी आंधी चली कि बड़े-बड़े दिग्गज धराशायी हो गए। अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर, चौधरी देवीलाल, जॉर्ज फर्नांडिस, कर्पूरी ठाकुर, रामविलास पासवान, शरद यादव, तारकेश्वरी सिन्हा, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, प्रमोद महाजन, वसुंधरा राजे और उमा भारती भी चुनाव हार गए थे।
16वीं लोकसभा में हुई दुर्गति : आश्चर्यजनक रूप से 16वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने की पात्रता भी कांग्रेस हासिल नहीं कर पाई। पंडित जवाहर नेहरू, कामराज, नीलम संजीव रेड्डी, इंदिरा गांधी, पीवी नरसिंहराव, सीताराम केसरी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी आदि दिग्गज कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। पार्टी का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा है। इससे पहले बैल जोड़ी और गाय-बछड़ा भी कांग्रेस का चुनाव चिह्न रह चुका है।
एक पार्टी 7 प्रधानमंत्री : कांग्रेस पार्टी को देश में 7 प्रधानमंत्री देने का श्रेय जाता है। इनमें पंडित नेहरू, गुलजारीलाल नंदा (कार्यवाहक प्रधानमंत्री), लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिंहराव और मनमोहन सिंह हैं। मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक कांग्रेस नीत यूपीए की गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था। कांग्रेस पार्टी के दामन पर 1975 में देश में आपातकाल लगाने का दाग भी लग चुका है। उस समय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी थीं।