मुद्दों से पूरी तरह भटका चुनाव प्रचार, चुनाव आयोग हैरान, नेता भी परेशान

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए 5 चरणों का मतदान हो चुका है। शुरुआती एक-दो दौर की बात करें तो जनता से जुड़े मुद्दों पर थोड़ी-बहुत बात हुई, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ा बड़े मुद्दे पीछे छूट गए और पूरा चुनाव निजी हमलों पर केन्द्रित हो गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का ही जोर अब मुद्दों पर नहीं है।
 
सोशल मीडिया का इस्तेमाल जोरों से हो रहा है, लेकिन यहां भी बात मुद्दों की नहीं हो रही है। सभी विवादित बयान का तड़का लगाकर राजनीतिक माहौल को गरमाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग खासा निराश है जो मुद्दों की बात सुनना चाहता है। हालांकि इस पूरी कवायद में चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाकर नेताओं के मुंह पर लगाम लगाने की कोशिश तो की, लेकिन इसका बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ। 
 
चुनाव से गायब हुए यह बड़े मुद्दे
 
विकास : लोकसभा चुनाव से ऐन पहले तक सत्ता पक्ष यह दावा करता रहा कि मोदी राज में बहुत विकास हुआ। यह माना जा रहा था कि यह चुनाव विकास के नाम पर ही लड़ा जाएगा। बहरहाल, अचानक यह मुद्दा लूप लाइन में चला गया। यहां तक कि पीएम मोदी भी इस पर ज्यादा बात करते दिखाई नहीं देते। सत्ता पक्ष के अन्य नेताओं ने भी अब विकास की बात करना लगभग बंद ही कर दिया है। 
 
किसान : चुनाव से पहले तक तो सभी दल किसानों के मुद्दे पर बढ़-चढ़कर बातें कर रहे थे। मोदी सरकार तो अंतरिम बजट में किसानों के लिए एक बड़ी योजना भी लाई थी। इस पर कांग्रेस ने भी लोकसभा चुनाव जीतने के बाद किसानों 'न्याय' का वादा कर दिया। कांग्रेस की घोषणा के बाद भाजपा ने किसानों के मुद्दे को हाशिए पर धकेल दिया।
 
राफेल : ऐसा माना जा रहा था कि इस चुनाव में विपक्ष राफेल को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाएगा। लोकसभा चुनाव के शुरुआती चरणों में तो यह मुद्दा जोरशोर से उठा, लेकिन बाद में यह मोदी पर निजी हमलों में बदल गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके जवाब में 'चौकीदार' को मुद्दा बना लिया। देखते ही देखते सोशल मीडिया पर यह अभियान बन गया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी अपने नाम के आगे चौकीदार लगाना शुरू कर दिया। जवाब में विपक्ष ने बेरोजगारी को मुद्दा बनाने का असफल प्रयास किया।  
 
इन बातों ने किया शर्मसार...
'चौकीदार चोर है' से 'राजीव गांधी भ्रष्टाचारी' तक का सफर : लोकसभा चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जुबान फिसलती नजर आ रही है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चोर कहना शुरू कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक में घसीट लिया। हालांकि उन्होंने बाद में अदालत से इस मामले में माफी मांग ली। जवाब में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राहुल के पिता और दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी कहना शुरू कर दिया। 
 
खून से सने मोदी के हाथ : पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी तो इस मामले में सबसे आगे निकल गईं। उन्होंने कहा कि मैं अब उन्हें नहीं मानती पीएम, एक्सपायरी पीएम हैं मोदी। ममता ने पीएम मोदी को लोगों के खून से सना हुआ करार दिया।
 
साध्वी का श्राप : मध्यप्रदेश के भोपाल चुनाव लड़ रहीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के उस बयान पर काफी बवाल मचा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके श्राप के कारण ही महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे की मौत हुई थी। साध्वी ने करकरे पर जेल में अमानवीय यातनाएं देने का आरोप लगाया था। बाद में कांग्रेस की शिकायत पर साध्वी को चुनाव आयोग के प्रतिबंध का सामना करना पड़ा था। 
 
चुनाव आयोग हैरान : मुद्दों से भटकते ही चुनाव दिशा से भटक गए। आपत्तिजनक बयानों की बाढ़ आ गई। नेताओं ने इन मामलों को चुनाव आयोग तक पहुंचाने में देर नहीं की। लगातार आ रही शिकायतों ने आयोग को हैरान कर दिया। चुनाव नियामक पर जल्द मामलों को सुलझाने का दबाव भी था। चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाकर योगी आदित्यनाथ, साध्वी प्रज्ञा, आजम खान, नवजोत सिद्धू समेत कई नेताओं पर प्रतिबंध भी लगाए। हालांकि चुनाव आयोग के कुछ फैसलों पर सवाल भी उठे।

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