चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि पहली बार 2009 के चुनावों के समय फोटोयुक्त मतदाता सूची का इस्तेमाल किया गया था। उस वर्ष असम, जम्मू-कश्मीर और नगालैंड में फोटो युक्त मतदाता सूची नहीं थी जबकि असम एवं नगालैंड में मतदाता फोटो पहचान-पत्र (एपिक) नहीं बांटे गए थे।
चुनाव आयोग ने कहा कि एपिक से लैस मतदाताओं और मतदाता सूचियों में तस्वीरों का प्रतिशत बढ़ सकता है। कई राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में पहले ही इसे शत प्रतिशत बताया गया है। आयोग ने यह भी कहा कि मतदान की तारीख से कम से कम पांच दिन पहले आधिकारिक वोटर पर्ची, जिस पर मतदाता की तस्वीर होगी, बांटी जाएगी।