एक-दूजे के रंग में ढल जाना बेहतर

बुधवार, 12 जनवरी 2011 (12:35 IST)
- मानसी

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हेलो दोस्तो! कई बार आप बहुत चाव से एक डिश बनाते हैं या किसी चर्चित स्थान पर उसे खाने जाते हैं। और जब तक आप उसे चख नहीं लेते हैं तब तक एक काल्पनिक स्वाद आपके खयालों में होता है। पर, उस वक्त आप बेजुबान से हो जाते हैं जब उस अपेक्षित स्वाद का कहीं अता-पता नहीं होता है। काफी समय तक आप अपने मन में बसाया स्वाद ही तलाशते रहते हैं। यह सोचने के बजाय कि जो स्वाद आप ले रहे हैं वह कैसा है। और, यदि सोचते भी हैं तो बेहतर या कमतर की तुलना करते हुए। लिहाजा सारी डिश समाप्त हो जाती है और आपको संतोष नहीं मिलता है।

यूँ कहें कि आप जायके का मजा नहीं ले पाते हैं। इस अनुभव के बाद आप बहुत दिनों तक नया तजुर्बा करने से कतराते हैं। कई बार संबंधों में भी ऐसी मिसालें मिलती हैं। सलीम (बदला हुआ नाम) भी कुछ ऐसे ही हालात से गुजर रहे हैं। कभी-कभार मिलने वाली एक रिश्तेदार सलीम को अच्छी लगती थी। उन्होंने बहुत ही रोमांस भरी जिंदगी की कल्पना में उससे शादी की।

पर, वह शादी वैसी नहीं निकली जैसी उन्हें अपेक्षा थी और टूट गई। अब सलीम को एक और लड़की से प्यार हो गया है। पर वे उस प्यार को शादी के बंधन में बाँधने से डरते हैं। इतना ही नहीं, हर समय इस रिश्ते के खूबसूरत क्षणों की तुलना पुराने रिश्ते से करते रहते हैं। पर, ऐसा करना उन्हें वर्तमान खुशी से दूर ले जाता है।

सलीम जी, दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँककर पीता है, यह कहावत आप पर इस समय बिल्कुल सही साबित होती दिखती है। आपके दिल में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जिसे बचपन से जानते थे यदि उसके साथ विचारों, पसंदगी के इतने मतभेद हो सकते थे तो भला साल-दो साल की दोस्ती पर कितना भरोसा किया जा सकता है। एक तरह से आपकी दुविधा सही भी है पर दोनों रिश्ते में बहुत-बड़ा फर्क है। किसी को यूँ ही रिश्तेदार के नाते जानना और किसी को दोस्ती और फिर प्रेम के कारण जानने में बहुत अंतर होता है।

जब साधारण सी दोस्ती, प्रेम की ओर बढ़ी है तो निश्चित ही उस व्यक्तित्व में कोई विशेष गुण है जो आपके लिए अनमोल है। वह गुण आपको जीने में मदद करने वाला है। ऐसा आप महसूस करने लगे हैं। इस रिश्ते को केवल रिक्तता से उपजा प्रेम भी नहीं कहा जा सकता है। रिक्तता से उपजने वाला प्रेम बहुत जल्द परवान चढ़ता है और जल्द ही उसके नतीजे भी सामने आ जाते हैं।

पर दिल टूटने के बाद धीरे-धीरे पनपता, परवान चढ़ता और अपना स्थान बनाता प्यार काफी हद तक अपनी प्रकृति में स्थायीपन की महक साथ लाता है। साल-दो साल का अर्सा केवल नकली भावनाओं के सहारे नहीं चलाया जा सकता है। यदि इसमें सच्चापन नहीं होता तो इस रिश्ते में बँधे रहना आपके लिए आसान नहीं होता।

इसलिए डरने के बजाय उस नए रिश्ते में आगे बढ़ें। जैसे ही नए साथी पर भरोसा बढ़ेगा डर अपने आप समाप्त होता जाएगा और साथ ही वह तुलना वाली पीड़ा भी खत्म होती जाएगी। हर व्यक्ति भिन्न होता है इसलिए किसी से किसी की तुलना करनी फिजूल है। नई दोस्त जैसी भी है वह आपको बेहद पसंद है तभी बार-बार आप उसके साथ पूरी जिंदगी बिताने के बारे में विचार करते रहते हैं।

यह इस बात का भी संकेत देता है कि आप पुराना दर्द भूलकर नए अनुभव पर भरोसा करने लगे हैं। सारे सकारात्मक संकेतों के बावजूद आप चाहें तो थोड़ा और समय बीतने दें। दोस्ती और प्यार का साथ तो आपको मिल ही रहा है इसलिए शादी थोड़ी टाली भी जा सकती है।

रिश्ते में जिन पहलुओं को लेकर आपको थोड़ी हिचक व झिझक महसूस होती है कोशिश करें वैसी मिलती-जुलती परिस्थितियाँ आए और उसका व्यवहार देखें। हो सकता है, आपका व्यवहार आपकी अपेक्षा के विपरीत हो पर इससे निराश होने के बजाय आपको संवाद बनाना चाहिए। दोस्ती व प्रेम के साथ बने रिश्ते और अनजाने रिश्ते में यही बड़ा अंतर होता है। यहाँ आप संवाद बना सकते हैं।

एक-दूसरे को समझने की कोशिश कर सकते हैं। एक-दूसरे के लिए थोड़ा पिघल सकते हैं। खुशी-खुशी प्यार से एक-दूसरे की पसंद के अनुसार ढलना प्रेम को बहुत बढ़ाता है और एक-दूजे के प्रति विश्वास को पक्का करता है। जब किसी जोड़े को प्यार में देखकर यह जुमला निकलता है कि वे एक-दूजे के लिए बने हैं तो इसका मतलब यह नहीं होता कि वे दोनों बिल्कुल एक से हैं बल्कि यह होता है दोनों में सामंजस्य की अद्भुत क्षमता है। एक-दूसरे की जरूरत के अनुसार खुद को ढाल पाना ही जीवन भर साथ निभाने का अचूक नुस्खा है। इसे जीवन में लागू करें और निस्संकोच प्यार के रिश्ते को स्थायी मोड़ दें।

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