गरीब के लिए चार कंधे भी नहीं जुटे!

सोमवार, 21 सितम्बर 2009 (22:36 IST)
गरीबी और बीमारी के चलते साठ वर्षीय एक बुजुर्ग की रविवार को यहाँ मौत हो गई। उसकी अर्थी को कंधा देने के लिए केवल दो लोग ही जुटे।

दीने रायकवार (60) के पुत्र बलराम ने सोमवार को बताया कि वह अपने पिता के साथ लगभग डेढ़ वर्ष पहले खजुराहो से छतरपुर आया था। पिता की बीमारी के कारण उन लोगों ने खजुराहो में अपना घर गिरवी रख दिया था।

छतरपुर में बलराम रिक्शा चलाता था, लेकिन पिता के इलाज के लिए उसे रिक्शा बेचना पड़ा। घर में खाने के लिए अनाज नहीं था। गरीबी और बीमारी के चलते पिता दीने ने रविवार को दम तोड़ दिया।

बलराम ने कहा कि पिता की मौत के बाद अर्थी उठाने के लिए केवल दो लोग ही जुट पाए। उन्होंने अर्थी को पीछे से कंधा दिया और बलराम ने आगे दोनो हाथों से उसे उठाया। बलराम का एक बेटा रिक्शे का पुराना टायर ले आया, जिसे गले में डालकर वह श्मशान घाट तक अर्थी के आगे-आगे चला।

बलराम ने कहा कि मोहल्ले के एक मंदिर के पुरोहित परिवार ने कफन का इंतजाम कर दिया था। दाह क्रिया के लिए हमें टायरों का ही सहारा था। दूसरी ओर नगर पालिका उपाध्यक्ष श्रीराम गुप्ता ने दावा किया है कि दाह संस्कार के लिए नगर पालिका ने लकड़ी प्रदान की थी।

बलराम ने बताया कि उसके परिवार के लिए गरीबी रेखा (बीपीएल) का कोई कार्ड नहीं बना है। नगर पालिका उपाध्यक्ष गुप्ता का कहना है कि बीपीएल कार्ड शीघ्र बनवा दिया जाएगा।

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