चित्रकूट

प्राचीन काल में तपस्या और शांति का स्थल चित्रकूट ब्रह्मा, विष्णु, महेश के बाल अवतार का स्थान माना जाता है। वनवास के समय भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, यहीं के घने जंगलों में रहे थे और ब्रह्मा, विष्णु और महेश महर्षि अत्रि तथा सती अनुसूया के अतिथि बनकर यहाँ रहे थे। इस स्थल का वरदान माना जाता है। भगवान प्राकृतिक सुषमा के बीच चित्रकूट में पर्यटक मानसिक शांति प्राप्त करते हैं।

रामघाट
रामघाट में मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित घाट पर विभिन्न धार्मिक क्रियाएँ चलती रहती हैं। कहते हैं यहाँ घाटों पर भीड़ कभी भी कम नहीं होती। पवित्र मंत्रोच्चार और खुशबू के बीच साधुओं को यहाँ तपस्या में लीन बैठे देखा जा सकता है या तीर्थयात्री उनसे उपदेश प्राप्त करते रहते हैं। मंदाकिनी के नीले-हरे पानी में नौकायन का मजा ही कुछ और है।

कामदगिरी
कामदगिरी चित्रकूट का मुख्य धार्मिक स्थल है। यह एक खड़ी पहाड़ी पर स्थित है जिसके आधार पर मंदिरों और पूजा स्थलों की कतारें हैं। यहीं पर भरत मिलाप मंदिर है। यहीं पर भरत ने राम से वापिस लौटने की विनती की थी। लोग यहाँ मनोकामना पूर्ति के लिए पहाड़ी की परिक्रमा भी करते हैं।

सती अनुसूया
यह स्थल कुछ ऊपर जाकर है घने जंगलों के बीच शांत वातावरण में पक्षियों की चहचहाहट गूँजती रहती है। कहते हैं कि यहीं पर अत्रि ऋषि, उनकी पत्नी अनुसूया और तीनों पुत्रों ने तपस्या की थी जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अवतार रूप में थे। मंदाकिनी की धारा को अनुसूया द्वारा अपनी ध्यान-साधना के लिए लाया गया था ऐसा माना जाता है। यह स्थल शहर से 16 किमी. दूर है और घने जंगलों से होकर सड़क मार्ग से यहाँ पहुँचा जा सकता है।

स्फटिक शिला
मंदाकिनी के किनारे पर जानकी कुंड के कुछ किलोमीटर पीछे यह घने वनों से आच्छादित क्षेत्र है। यहाँ पर भगवान राम के पैरों के निशान हैं और यहीं पर सीता माता को जयंत नामक कौवे ने चोंच मारी थी। यहाँ नदी के स्वच्छ पानी में मछलियाँ आसानी से देखी जा सकती हैं।

जानकी कुंड
रामघाट से ऊपर जाने पर मंदाकिनी का मनमोहक नजारा दिखाई देता है। नदी के नीले पानी और हरे-भरे पेड़ों से यह स्थान बहुत ही सुरम्य लगता है। जानकी कुंड तक जाने के दो रास्ते हैं एक तो आप यहाँ नाव के जरिए पहुँच सकते हैं और दूसरे आप हरियाली देखते हुए सड़क मार्ग से भी जा सकते हैं।

हनुमान धारा
यह सैंकड़ों फीट ऊँची जगह पर स्थित धारा है, जिसे राम ने हनुमान के लंका दहन के बाद लौटने पर हनुमान के लिए बनाया था। यहाँ कई मंदिर हैं और साथ ही यहाँ से चित्रकूट का विहगम दृश्य भी देखा जा सकता है। ऊपर पहुँचने पर खुला सा क्षेत्र है जहाँ पीपल के वृक्ष लगे हैं। ऊपर चढ़ने की सारी थकान यहाँ आते ही मिट जाती है।

भरत कूप
यहाँ भरत ने पूरे भारत के तीर्थों से जल एकत्र करके डाला था। यह कस्बे से दूर छोटा सी अलग-थलग जगह है।

गुप्त गोदावरी
कस्बे से 18 किमी. दूर पहाड़ी पर यह प्राकृतिक चमत्कार के रूप में है। यहाँ एक जोड़ा गुफाएँ हैं जिनमें बड़ी मुश्किल से ही प्रवेश किया जा सकता है। दूसरी गुफा और भी सँकरी है जिसमें पतली सी नदी बहती है। कहा जाता है कि यहाँ राम-लक्ष्मण अपना दरबार लगाते थे, यहाँ दो प्राकृतिक सिंहासन बने हुए हैं।

कैसे पहुँचे :-
वायु सेवा- सबसे नजदीकी हवाई अड्डा खजुराहो (175 किमी) है। दिल्ली, आगरा और वाराणसी से यहाँ के लिए विमान सेवा उपलब्ध है।

रेल सेवा- सबसे निकटवर्ती रेलवे स्टेशन चित्रकूट धाम या कर्वी (11 किमी) है। यह झाँसी-माणिकपुर मुख्य रेल लाइन पर स्थित है।

सड़क मार्ग- झाँसी, महोबा, चित्रकूट धाम, हरपारपुर, सतना और छतरपुर से चित्रकूट के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध हैं।

कैसे जाएँ
अक्टूबर से मार्च तक का समय यहाँ जाने के लिए उपयुक्त है।
ठहरने के लिए- मध्यप्रदेश निगम का बंगला तथा उत्तरप्रदेश पर्यटन निगम का बंगला, साडा के होटल तथा लॉज उपलब्ध हैं।

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