भोपाल। 'मध्यप्रदेश सरकार बहुजन हिताय बहुजन सुखाय और सर्वजन कल्याण के संकल्पों के साथ काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पंचायत से लेकर मंत्रालय तक सारा काम पारदर्शिता के साथ हो रहा है। हमारी सरकार भी दूध पर बोनस देकर किसानों और गौपालकों को लाभ देगी। प्रदेश में सहकारिता का आंदोलन आगामी 4 सालों में शिखर पर पहुंचेगा। देश में सहकारिता क्षेत्र में अगर सबसे अच्छा काम कहीं होगा तो वो मध्यप्रदेश होगा।' यह बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपेक्स बैंक में कही। मुख्यमंत्री भोपाल में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के मौके पर आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में सहकारिता के मूल को समझते हुए बहुउद्देशीय सहकारी समितियों की कल्पना की गई है। सरकार ने सहकारिता में सबके कल्याण का ध्यान रखा है। इसलिए केंद्र सरकार में सहकारिता की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री अमित शाह को दी गई। मध्यप्रदेश सरकार भी सभी के कल्याण के संकल्प पर चल रही है। राज्य में पंचायत से लेकर मंत्रालय तक सभी कामों में पारदर्शिता बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि गुजरात में सहकारी समितियों ने देश में बड़ा अच्छा काम किया है। इसे देखते हुए हमारी सरकार भी किसानों को दूध पर बोनस देगी और गौपालकों को लाभ देगी।
सबको साथ मिलकर चलना होगा-मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि औद्योगिकीकरण में सिर्फ व्यक्ति ही नहीं, सहकारिता की भी भागीदारी होनी चाहिए। प्रदेश में सहकारिता का आंदोलन आगामी 4 सालों में शिखर पर पहुंचेगा। देश में सहकारिता क्षेत्र में अगर सबसे अच्छा काम कहीं होगा तो वो मध्यप्रदेश होगा। राज्य सरकार सहकारिता के कामों को धरातल पर उतारने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के संकल्पों के अनुरूप ही चल रही है। सहकारिता का दायरा विस्तृत है और इसमें कई आयाम हैं। इसके मूल में सबको समाना पड़ेगा। कोई छूट नहीं सकता है। इसी भाव के अनुरूप प्रदेश सरकार ने सहकारिता क्षेत्र की प्रक्रियाओं को सरल किया है। आज इसके नए मैन्युअल का भी लोकार्पण हुआ।
भारत ने दुनिया को सहकारिता सिखाई-मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देश में सहकारिता की शुरुआत साल 1840 में अंग्रेजों के जमाने में हुई। अंग्रेजों ने भारत आकर यहां मौजूद व्यवस्थाओं से कई अच्छी बातें सीखीं। भारत ने कभी छोटे देशों की स्वायत्ता को खत्म नहीं किया, बल्कि उन्हें साथ लेकर उनके स्वावलंबन को जीवित रखा। सच्चे अर्थों में संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) का पालन करने वाला कोई देश है तो वो भारत है। भारत की समृद्ध परंपराओं का पालन कर लो, पूरे यूएन के दिशा-निर्देशों को पालन हो जाएगा। हम 'सर्वे भवन्तु सुखिना' के मंत्र पर चलते हैं। इसका अर्थ है सबको जोड़ना और अपने लाभ में उन्हें सहभागी बनाना। हम 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय', 'वसुधैव कुटुम्बकम' जैसे वेद वाक्यों को अपनाते हैं। ये हमें बताते हैं कि गांव-गांव तक छोटी से छोटी ईकाई को साथ जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उज्जैन में साल 1990 में अपने द्वारा सहकारी समिति तैयार करने के अनुभव भी साझा किए।