भोपाल। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को मतदान होगा वहीं 10 नवंबर को नतीजे आएंगें। प्रदेश के संसदीय इतिहास में पहली बार एक साथ 28 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे है। मध्यप्रदेश में भविष्य की राजनीति की पटकथा लिखने वाले इस उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा जहां एक दूसरे को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी। चुनाव में दोनों दल इन मुद्दों पर जोर आजमाइश करते हुए दिखाई देंगे।
‘गद्दार’ पर टिकी सियासी महाभारत – मध्यप्रदेश के उपचुनाव के सियासी रण में इस बार पूरी लड़ाई ‘गद्दार’ पर आकर टिक गई है।भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रमुख मुद्दा ‘गद्दार’ ही है। मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक 22 विधायकों की पाला बदलने से प्रदेश में कमलनाथ सरकार की विदाई और शिवराज सरकार के फिर से बनने के बाद हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस गद्दार के मुद्दे पर सिंधिया और उनके समर्थक नेताओं को घेर रही है।
कांग्रेस का जहां पूरा चुनावी कैंपेन ‘गद्दार’ के आसपास टिका है,वहीं दूसरी ओर भाजपा,सिंधिया के साथ उनके समर्थक नेताओं को कांग्रेस छोड़ने का कारण उनकी खुद्दारी बता रही है। वहीं अब सिंधिया ने गद्दार को लेकर कांग्रेस पर काउंटर अटैक करते हुए कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर प्रदेश की जनता को दिए गए वचन को पूरा नहीं करने को प्रदेश की जनता से गद्दारी बताया है।
किसान और कर्जमाफी – 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी का जो ट्रंपकार्ड खेला था उसने कांग्रेस के पंद्रह साल के वनवास को खत्म कर एक बार फिर सत्ता तक पहुंचा दिया था। ऐसे में अब उपचुनाव में जीत हासिल कर कांग्रेस फिर एक बार सत्ता में वापसी की कोशिश रही है तो उसने अपने पंद्रह महीने के कार्यकाल में 26 लाख से अधिक किसानों की कर्जमाफी की अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताने जा रही है। वहीं सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा कांग्रेस के कर्जमाफी के दावे को किसानों के साथ सबसे बड़ा छलावा बताकर दावा कर रही है कि कमलनाथ सरकार ने अपने पंद्रह के कार्यकाल में एक भी किसान का कर्ज माफ नहीं किया।
किसानों के बड़े वोट बैंक को साधने के लिए शिवराज सरकार ने चुनाव की तारीखों के एलान से ठीक पहले मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत प्रदेश के किसानों को हर साल चार-चार हजार रूपए देने की घोषणा कर दी। किसानों को यह राशि केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाले पीएम किसान सम्मान राशि से अलग होगी। बेरोजगारी और रोजगार का मुद्दा- मध्यप्रदेश के उपचुनाव में बेरोजागारी और रोजगार का मुद्दा खूब जोर से छाया रहेगा। संविदा और अतिथि शिक्षकों का मुद्दा चुनाव में खूब जोर शोर से उठेगा। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में लंबे समय से पुलिस सहित अन्य विभागों में भर्ती के मुद्दें पर कांग्रेस, भाजपा सरकार को घेरने की तैयारी में है। इसके साथ लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में प्रदेश में वापस लौटे प्रवासी मजदूरों की बेरोजगारी भी प्रमुख मुद्दा बनेगा।
राममंदिर और राष्ट्रवाद का मुद्दा– सामान्य तौर पर उपचुनाव में स्थानीय मुद्दें ही हावी होते है लेकिन इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में राममंदिर और राष्ट्रवाद का मुद्दा भी हावी रहेगा। भाजपा अयोध्या में राममंदिर बनाने का क्रेडिट लेकर वोटरों के ध्रुवीकरण की कोशिश में जुटी है। चुनाव लड़ रहे है कई उम्मीदवार अपने विधानसभा क्षेत्र में रामशिलाएं यात्राएं निकाल रहे है। सुरखी से भाजपा उम्मीदवार और शिवराज कैबिनेट में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत एलान कर चुके है कि वह रामशिलाएं लेकर अयोध्या जाएंगे। वहीं दूसरी कमलनाथ राममंदिर के शिलान्यास के मौके पर हनुमान चालीसा का पाठ कर अपने को रामभक्त बता चुके है।
कोरोना का मुद्दा– कोरोनाकाल में हो रहे उपचुनाव में कोरोना का मुद्दा भी खूब गूंजेगा। कोरोनावायरस से पीड़ित लोगों की इलाज और खराब स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जहां विपक्ष सरकार पर हमलावर होगा वहीं सरकार कोरोना में लड़ने में स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी में कमी का ठीकरा पिछली सरकार पर फोड़ने के साथ प्रदेश कोरोना से प्रभावित राज्यों में किस तरह निचले क्रम पर है इस पर फोकस करेगी।