मध्यप्रदेश के मंदसौर में रविवार को हुए एक दर्दनाक बस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। इस हादसे के बाद से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतनी सड़क दुर्घटनाएं क्यों हो रही है।
आमतौर पर देखा जाता है कि सड़क दुर्घटनाओं के लिए वाहन चालक ही जिम्मेदार होते हैं। उन्हें ज्यादा से ज्यादा सवारी चाहिए होती है और इसी लालच में वो बेहद तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं। उन्हें न तो खुद की जान की परवाह होती है न बस में सवाल यात्रियों की।
गांवों में चलने वाली बसों में क्षमता से अधिक यात्री बैठाए जाते हैं। कई बार तो इन बसों में छत यात्री भी छत पर बैठे नजर आते हैं। बताया जा रहा है कि आज दुर्घटनाग्रस्त हुई बस में भी क्षमता से कहीं अधिक यात्री थे।
इस मामले में परिवहन अधिकारियों का नजरिया भी बेहद लचीला रहता है। वह इस बात की जांच नहीं करते कि बसों में कितने यात्रियों को बैठाया जा रहा है? अगर परिवहन अधिकारी सख्त हो जाएं तो सड़क दुर्घटनाएं स्वत: ही कम हो जाएगी।
आमतौर पर देखा जाता है कि ड्राइवर वाहन चलाते समय तेज आवाज में गाना सुनते हैं या फिर ईयर फोन लगा लेते हैं। इस वजह से कई बार वाहन पर से उनका नियंत्रण छूट जाता है। जैसा कि पिछले दिनों उत्तरप्रदेश में एक टाटा मैजिक के ट्रेन से टक्कर के दौरान हुआ था। उस हादसे में भी 13 मासूमों की मौत हो गई थी।
प्रशासन को स्कूल बसों की तरह ही अन्य बसों की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। इन बसों के पीछे भी वे नंबर लिखे जा सकते हैं जहां तेज रफ्तार से चलने वाली गाड़ियों की शिकायत की जा सकें।