मध्यप्रदेश में बाघों के कब्रगाह बनते टाइगर रिजर्व, पेंच टाइगर रिजर्व में मिला बाघ का शव, शिकार की आशंका
भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकार भले ही चीता स्टेट बनने के जश्न के खुमार में डूबी हुई हो लेकिन प्रदेश में लगातार टाइगर की मौत के बाद अब टाइगर स्टेट का रूतबा छीनने का संकट मंडराने लगा है। टाइगर की संदिग्ध मौत का ताजा मामला प्रदेश के पेंच नेशनल टाइगर रिजर्व में सामने आय़ा है। पेंच नेशनल टाइगर रिजर्व के बफर जोन में बादलापार के समीप नदी में एक बाघ का शव मिला है।
शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक जिन परिस्थितियों में बाघ का शव बरामद हुआ है उससे बाघ की मौत सामान्य नहीं लग रही है। स्थानीय लोगों के मुताबिक बाघ के शरीर पर किसी तरह के कोई निशान नहीं है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि बाघ की मौत करंट लगने से हो सकती है। बताया जा रहा है कि नदी में शिकार के लिए करंट फैलाया गया था जिसकी चपेट में बाघ आ गया।
'टाइगर स्टेट' में सबसे ज्यादा बाघों की मौत!- प्रदेश के वन मंडल में लगातार हो रही बाघों की मौत के बाद वन विभाग कठघरे में खड़ा दिखाई दे रहा है। अगर बीते सालों में बाघों की मौत के आंकड़ों पर नजर डाले तो गत 6 सालों में 175 बाघों की मौत हो चुकी है। वहीं इस साल जनवरी 2022 से 15 जुलाई 2022 तक मध्यप्रदेश में 27 बाघों की मौत दर्ज की गई है जोकि देश में सबसे ज्यादा है। वहीं पेंच से पहले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक बाघिन की मौत हुई थी।
अगर मध्यप्रदेश में बाघों की मौत के आंकड़े पर नजर डाले तो मध्यप्रदेश में 2021 में 44, 2020 में 30, 2019 में 29, 2018 में 19, 2017 में 27 और 2016 में 34 बाघों की मौत हुई थी। प्रदेश के सात वन मंडल में ही 80 बाघों की मृत्यु हुई, जिसमें 16 का शिकार किया गया है। ऐसे 16 बाघ के शव मिले है जिनकी मौत बिजली के करंट से हुई है।
बाघों के लिए सुरक्षित नहीं नेशनल पार्क!- प्रदेश में लगातार हो रही बाघों की मौत में सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि नेशनल पार्क में रहने वाले बाघ भी सुरक्षित नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बाघों की सबसे ज्यादा मौतें टाइगर रिजर्व क्षेत्र में हुई है। कान्हा टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा 30 और बांधवगढ़ में 25 मारे गए थे।