भोपाल। कर्नाटक के राजनीतिक घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में बुधवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव की टिप्पणी के लगभग चार घंटे बाद शाम को एक विधेयक पारित कराने के समय हुए मत विभाजन के दौरान विधेयक के पक्ष में 122 और विपक्ष में शून्य मत पड़े।
इसके साथ ही सरकार ने परोक्ष रूप से अपना बहुमत साबित कर दिया। सरकार को समर्थन दे रहे बसपा के सदस्यों की मांग पर हुए इस मत विभाजन का विपक्षी दल भाजपा ने पुरजोर विरोध किया।
मत विभाजन के बाद अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सदन को मत विभाजन की स्थिति से अवगत कराया। इसके तत्काल बाद संसदीय कार्य मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने दावा करते हुए कहा कि मत विभाजन के दौरान विपक्षी दल भाजपा के दो सदस्यों ने भी पक्ष में मतदान किया है।
बताया जा रहा है ब्यौहारी से भाजपा विधायक शरद कोल एवं मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी ने कमलनाथ सरकार के समर्थन में वोट डाला। वहीं विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने तत्काल प्रत्युत्तर कहा कि कुछ सदस्यों ने एक से अधिक बार हस्ताक्षर किए हैं, इसलिए इनका सत्यापन होना चाहिए।
इसी बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अध्यक्ष की ओर मुखातिब होते हुए तत्काल कहा कि सत्यापन की प्रक्रिया भी फौरन करा ली जाए जिससे स्थिति साफ हो जाएगी और ज्यादा वक्त भी नहीं लगेगा। हालांकि इस पर विपक्ष की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
वहीं, अध्यक्ष प्रजापति ने सरकार की ओर से प्राप्त प्रस्ताव के अनुरूप सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी और मानसून सत्र संपन्न हो गया। विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही 8 जुलाई से शुरू हुई थी। सत्र निर्धारित तारीख 26 जुलाई से दो दिन पहले सत्र संपन्न हो गया।
230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में कांग्रेस के 114, भाजपा के 108, बहुजन समाज पार्टी के दो, समाजवादी पार्टी का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस को सपा, बसपा और निर्दलीयों का समर्थन प्राप्त है।