कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अचानक नागपुर पहुंचने और संघ के बड़े नेताओं से मुलाकात करने को लेकर मध्यप्रदेश में सियासी पारा चढ़ गया है। अपने तीन दिन के ग्वालियर दौरे के तुरंत बाद अचानक से भाजपा सांसद सिंधिया ने संघ मुख्यालय पहुंचे और उनके सरसंघचालक मोहन भागवत सहित संघ के बड़े नेताओं से मुलाकात करने की भी खबर है। इस दौरान सिंधिया और संघ के नेताओं के बीच किन मुद्दों पर बात हुई इसकी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।
मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तारीखों के एलान से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया का नागपुर जाने और संघ प्रमुख से मुलाकात करने को लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चा शुरू हो गई है। राजनीति के जानकार इसे सिंधिया का संघम शरणम् गच्छामि बता रहे है।
ग्वालियर-चंबल की सियासत को बेहद करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर राकेश पाठक कहते हैं कि भाजपा में शामिल होने के बाद पहली बार ग्वालियर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के दौरे के दौरान जिस तरह भाजपा के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी खुलकर सामने आई उसने सिंधिया के साथ भाजपा की चिंता निश्चित तौर पर बढ़ा दी है।
सिंधिया के इस दौरे के दौरान भले ही भाजपा ने तीन दिन का मेगा सदस्यता समारोह कर 76 हजार से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ताओं के भाजपा में शामिल होने का दावा किया हो लेकिन इस दौरान सिंधिया को जिस तरह कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा वैसा विरोध सिंधिया घराने के किसी सदस्यों को अब तक नहीं देखना पड़ा।
ग्वालियर-चंबल के सियासी समीकरणों और सिंधिया घराने की राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक राकेश पाठक कहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की भाजपा में आगे की राह आसान नहीं है। महल विरोधी राजनीति के लिए पहचाने जाने वाले भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के सिंधिया के दौरे के दौरान किए गए ट्वीट से उनकी नाराजगी स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है।
वह कहते हैं कि सिंधिया और उसके समर्थकों के बड़ी संख्या में भाजपा में आने के बाद ग्वालियर-चंबल में भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में अंदर ही अंदर एक आक्रोश और नाराजगी पनप रही है जिसका खामियाजा उपचुनाव के दौरान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। भाजपा के अंदर इस अंसतोष को दबाने के लिए संघ का सक्रिय होना बेहद जरूरी है इसलिए अपने ग्वालियर-चंबल के दौरे के तुरंत बाद सिंधिया को संघ की शरण में जाना पड़ा।
सिंधिया के भाजपा में एंट्री लेने के बाद से ही भाजपा ग्वालियर-चंबल के अपने नेताओं को साधने की भरसक कोशिश कर रही है। भाजपा के राममंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता और बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक रहे जयभान सिंह पवैया की नाराजगी को दूर करने के लिए खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर दौरे के दौरान अकेले में चर्चा भी की, लेकिन इस मुलाकात के एक दिन बाद पवैया ने ट्वीट कर खुलकर अपनी नाराजगी जता दी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के ग्वालियर दौरे के दौरान उसी अंचल से आने वाले भाजपा के संकटमोचक कहे जाने सीनियर कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा की दूरी भी राजनीतिक गलियारों में खूब सुर्खियों में रही। यह भी दिलचस्प है कि सिंधिया के ग्वालियर आने और भाजपा के तीन दिवसीय मेगा सदस्यता समारोह के दौरान सूबे के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ग्वालियर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर अपने विधानसभा सीट दतिया और गृहनगर डबरा में ही रहे और पहले की तरह कार्यकर्ताओं से मेल मुलाकात और स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल हुए।