साल 2019 में अगर बापू जिंदा रहते तो क्या होता?

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हालांकि व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं है कि बापू इतने वर्षों तक जिंदा रहते लेकिन कुछ देर के लिए क्या हम यह मान सकते हैं? यह कल्पना करने में क्या हर्ज है कि बापू आज के माहौल में होते तो क्या सोचते? देश, राजनीति, धर्म, राम, सांप्रदायिकता, मॉबलिंचिंग, गाय, काश्मीर,सैनिक, पाकिस्तान, महिला सुरक्षा जैसे कितने ही मुद्दे ऐसे हैं जिन पर बापू की सोच और उनका रवैया मायने रखता। 
 
क्या आज की राजनीति उन्हें बहुत रुलाती, देश के हालात पर वे दुखी होते या फिर विकास और प्रगति के नित नूतन सोपानों पर वे मुस्कुराते? क्या सांप्रदायिकता की जहरीली जड़ें उन्हें विचलित करती या फिर संस्कृति के सुंदर मंच उन्हें आश्वस्ति देते? मॉबलिंचिंग पर वे आमरण अनशन करते या गाय के लिए उनका अनुराग छलकता? 
 
राम मंदिर क्या उनके लिए बड़ा और गंभीर सवाल होता या फिर वे भी इस बात का इंतजार करते कि चुनाव आए और मुद्दा उछले.. . काश्मीर के आतंकवाद पर क्या वे खामोश रहते या फिर पाकिस्तान से आर-पार की स्पष्ट बात करते? आए दिन बच्चियों से होते दुराचार की खबरें पढ़कर उनका दिल कितना रोता वे इस पर अपने अंदाज में कोई विरोध करते या फिर बच्चों के संस्कारों की कोई पाठशाला खोल लेते? सेना के जवानों से घुलते-मिलते, उनका उत्साह बढ़ाते, या उन्हें बस प्रवचन देकर खुश करते?  
 
आखिर बापू होते 2019 में तो क्या करते? विज्ञान, तकनीक और प्रौद्योगिकी उनके रूचि के विषय होते, क्या बदलते वक्त के साथ वे भी बदलते या  बदलते दौर की बदलती सोच में जो विकृतियां शामिल हो गई हैं उन्हें देखकर वे निराश होते ...
 
शायद बापू और बापू जैसे कुछ गरिमामयी प्रभावशाली नाम अगर आज होते तो परिस्थितियां भी निश्चित तौर पर भिन्न होती... जो कुछ आज जैसा है वैसा शायद न होकर कुछ बेहतर होता और अगर नहीं तो फिर अच्छा है कि बापू आज नहीं है... बदलते परिवेश के बदलते मूल्यों को देखने के लिए...देश और शहर की स्वच्छता उन्हें प्रसन्न करती पर मन और मानसिकता की गंदगी उनका मन तोड़ देती.. इसलिए अच्छा ही है कि बापू आज नहीं है....

(वेबदुनिया)   

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