महावीर को तप करते हुए 12 वर्ष व्यतीत हो गए। एक बार गहरी तप-साधना के बाद महावीर थककर चूर हो गए थे। थकान के कारण रात्रि के अंतिम कुछ घंटे में कुछ समय के लिए उन्हें झपकी आ गई। इसी दौरान उन्होंने दस विचित्र स्वप्न देखे। जिनकी व्याख्या बाद में इस प्रकार की गई...
पहला स्वप्न : ताल दैत्य को पराजित करना।
व्याख्या : मोहनीय कर्म की समाप्ति।
दूसरा स्वप्न : सफेद पंखों वाला पक्षी।
व्याख्या : हमेशा निर्मल विचार रखना।
तीसरा स्वप्न : बहुरंगी पंखों वाला पक्षी।
व्याख्या : नियमानुकूल बहुमुखी ज्ञान का प्रवर्तन।
चौथा स्वप्न : रत्नों की दो लडि़यां।
व्याख्या : दो-मार्गी धर्म का उपदेश-साधक और गृहस्थ।
पाचवां स्वप्न : श्वेत गौओं का झुंड।
व्याख्या : चार शाखाओं वाला संगठन- श्रमण, आर्यिका, श्रावक और श्राविका।
छठा स्वप्न : खिले कमलों से भरा जलाशय।
व्याख्या : चारों लोकों के देवता आपकी (महावीर) सेवा करेंगे।
सातवां स्वप्न : झागदार महासागर को तैरकर पार करना।
व्याख्या : पुनर्जन्म से मुक्ति।
आठवां स्वप्न : चारों ओर सूर्य की किरणों का प्रसार।
व्याख्या : केवलज्ञान प्राप्ति का समय निकट।
नौवां स्वप्न : मनुष्योत्तर पर्वत की परिक्रमा।
व्याख्या : आत्मप्रकाश से ब्रह्माण्ड को आलोकित करना।
दसवां स्वप्न : मेरु पर्वत पर रखे सिंहासन पर आसीन।
व्याख्या : उच्च सिंहासन पर आसीन होकर धार्मिक प्रवचन देना।