इस साल हीट वेव के कारण कई हज यात्रियों की जान चली गई। हीट वेव के कारण मौतों के आंकड़े कई शहरों से आ रहे हैं। जब वयस्कों की जान हीट वेव के कारण खतरे में है, तो सोचिए नवजात शिशुओं पर इस गर्मी का क्या असर होगा?
नवजात शिशुओं का शरीर नाजुक होता है। अगर गर्मियों में उनका ख्याल न रखा जाए, तो वे भी हीट वेव का शिकार हो सकते हैं। हीट वेव के कारण शिशु गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि हीट वेव के कारण नवजात शिशुओं को क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं और उन्हें कैसे इससे बचाया जाए। ALSO READ: नवजात शिशु को रात में स्तनपान कराने के लिए अपनाएं ये 8 टिप्स, मां और बच्चा दोनों रहेंगे हैप्पी
हीटवेव से बचाने के लिए नवजात शिशु की देखभाल:
हीटवेव की वजह से नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर ये गंभीर प्रभाव हो सकते हैं -
गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है। नवजात शिशुओं को डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती है।
अत्यधिक गर्मी के कारण शिशु के शरीर का तापमान बढ़ जाता है और हीट स्ट्रोक का खतरा हो सकता है, जो शिशु के लिए जानलेवा स्थिति भी बन सकती है।
हीटवेव के कारण नवजात शिशुओं के फेफड़े प्रभावित होते हैं और सांस लेने में समस्या हो सकती है।
गर्मी के कारण नवजात शिशुओं की त्वचा पर लाल चकते और खुजली की समस्या हो सकती है।
गर्मी के कारण नवजात शिशुओं की त्वचा पर घमोरी की समस्या भी हो सकती है।
अधिक तापमान नवजात शिशु की नींद को प्रभावित करता है, जिसका उसके विकास पर बुरा असर पड़ सकता है।
गर्मी के कारण बैक्टीरियल और वायरल बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे नवजात शिशुओं में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग होने लगते हैं।
नवजात शिशुओं में हीटवेव से कैसे बचाव करें?
नवजात शिशुओं को समय-समय पर स्तनपान कराने से डिहाइड्रेशन से बचा जा सकता है।
गर्मी में नवजात शिशु को सूती कपड़े पहनाएं। इससे शिशु के शरीर को गर्मी से राहत मिलेगी।
नवजात शिशु को गर्मी में बाहर न ले जाएं, शिशु के कमरे में धूप नहीं आनी चाहिए। इस तरह उसे हीटवेव से बचाया जा सकता है।
शिशु के कमरे का तापमान नियमित रूप से चेक करें। तापमान 24-26 डिग्री सेल्सियस के बीच रखने की कोशिश करें।
यदि शिशु में असामान्य लक्षण दिखें, जैसे अत्यधिक पसीना आना, सुस्ती, उल्टी या तेज बुखार, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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