मां पर बेस्ट कविता : मां तू कहां समझ में आती है?

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Happy mothers day 2023 poems
दामिनी सिंह ठाकुर 
 
 
मां कैसे लिखूं तुझे तो शब्दों में कहां समाती है, 
कैसे करूं परिभाषित तुझे तू कहां समझ में आती है 
 
कैसे रोटियों की गिनती में तेरी भूख मर जाती है,
बच्चों की हर आहट तू नींद से जग  जाती है,
कैसे हर चोट पर ममता की हल्दी लगाती है, 
हां मां तू कहां समझ में आती है 
 
दुआएं चुन चुन के सपने सजाती है,
हमारे लिए हर बला से लड़ जाती है
सारे ख्वाब सजाने को शिल्पकार बन जाती है 
हां मां तू कहां समझ में आती है 
 
कभी गुरु कभी देवी कभी आया कभी धोबी, 
कभी दर्जी बन पुराने फ्रॉक में गोटे लगाकर ,
हमको कभी परी और शहजादी बनाती है, 
हां मां तू कहां समझ में आती है 
 
यह तेरी तस्वीर किसने बनाई होगी,
जाने कैसे कब कहां तु मुस्कुराई होगी,
अब तो तुझसे ज्यादा तेरी तस्वीर मुस्कुराती है, 
हां मां तू कहां समझ में आती है 
 
अब समझ में आया क्यों तुझे एक ही साड़ी भाती है, 
पापा की पसंदीदा है कहकर हमको  बहलाती है, 
आंचल से पसीना पोंछ माथे का शिकन छिपाती है, 
हां मां तू कहां समझ में आती है 
कैसे लिखूं तुझे तू शब्दों में कहां समाती है...  
लेती नहीं दवाई अम्मा, जोड़े पाई-पाई अम्मा, यह किसकी कविता है?

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