माँ किसी भी बच्चों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। माँ का प्यार और देखभाल पाकर ही एक बच्चा ख़ुद को सुरक्षित महसूस करता है। माँ सही मायने में पृथ्वी पर भगवान का रूप है क्योंकि वह न सिर्फ एक बच्चे को जन्म देती है बल्कि संस्कारों से सींच कर उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करती है। हिंदू पौराणिक कथाओं में भी ऐसी कई महान माताओं का उल्लेख है जिनके उदात्त व्यक्तित्व और सद्गुणों ने उनके बच्चों को प्रेरणा दी और उन्हें विश्व के लिए आदर्श बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
माता पार्वती
parvati mata
माता पार्वती अपने पुत्र गणेश के प्रति अगाध प्रेम से हम सभी परिचित हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि उन्होंने अपने शरीर पर चंदन का लेप लगाकर उन्हें उत्पन्न किया था। जब भगवान शिव ने श्री गणेश का सिर काटा तब भी माता पार्वती ने अपने पुत्र के प्राणों के लिए महादेव के इस कदम का विरोध किया था और उनसे अपने बालक के प्राणों को वापस माँगा था। भगवान गणेश प्रथम पूज्य देवता हैं और इसके पीछे उनकी माता पार्वती का ही योगदान है
माता यशोदा
Mothers Day:
हालाँकि भगवान कृष्ण की जन्मदात्री देवकी थीं, लेकिन उनका पालन-पोषण मैया यशोदा ने ही किया था। वास्तव में, कृष्ण जी के प्रति उनका अगाध प्रेम और स्नेह इतना प्रबल था कि जब भी हम श्री कृष्ण को याद करते हैं तब उनका नाम यशोदानंदन के रूप में ही लिया जाता है। उन्होंने कृष्ण को अपने प्रेम से सींचा लेकिन जब कृष्ण की मथुरा जाने का समय आया तब माता यशोदा ने उन्हें अपने प्रेम की दुहाई देकर रोका नहीं बल्कि जाने दिया। यह अपने पुत्र के प्रति उनका महान प्रेम और त्याग था।
माता देवकी
devaki mata
माता देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया था। उनके भाई कंस ने उन्हें और उनके पति को कैद कर लिया और उनके सभी बच्चों को मार डाला। अपनी आखिरी संतान कृष्ण को बचाने के लिए, उन्होंने अपने बेटे को खुद से दूर माता यशोदा के साथ रहने के लिए भेज दिया। वे एक साहसी माँ थीं, जिन्होंने तमाम कष्टों के बावजूद केवल अपने बच्चे के कल्याण के बारे में सोचा।
माता सीता
sita mata
सीता मैया के दो जुड़वाँ बच्चे थे - लव और कुश। वह हिंदू पौराणिक कथाओं में आदर्श मां के रूप में जानी जाती हैं। एक अकेली माँ होने के बाद भी उन्होंने अपने बेटों को संस्कार और आत्मसम्मान की सीख दी और उन्हें अपने पिता के समान शूरवीर और साहसी बनाया।
माता कौशल्या
kaushalya mata
माता कौशल्या भगवान राम की माता थीं। वे एक सरल और शुद्ध हृदय वाली महिला थीं, जिन्होंने कैकेयी के छल के कारण भगवान राम को वनवास भेजे जाने पर दुखी होने के बाद भी संयम से काम लिया। उन्होंने भगवान् राम को अपने पिता के वचन निभाने से कभी विमुख नहीं किया।
उपरोक्त सभी उदाहरण इस बात का प्रमाण हैं कि माताएँ अपने बच्चों के जीवन को कैसे आकार देती हैं।