कांग्रेस का आरोप है कि मजदूरों को जो जूते बांटे जा रहे है, उनमें खतरनाक रसायन एजैडओ मिला है। यह रसायन त्वचा के कैंसर का कारण बन सकता है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने भी सवाल उठाते हुए ट्वीट किया कि ये खुलासा चिंतनीय है, आदिवासियों की जान से खिलवाड़ की इजाजत कैसे दी गई और बगैर जांच के लाखों जूते-चप्पल कैसे बांट दिए गए, इसका दोषी कौन है।
इस पत्रकार वार्ता में लगभग एक दर्जन आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहक भी उपस्थित थे, जिन्होंने कहा कि सात से दस दिन तक इन जूते-चप्पलों का उपयोग करने के बाद उन्हें खुजली होने लगी और इसके बाद उन्होंने इसका उपयोग बंद कर दिया।
ओझा ने सरकार की ओर से जूते-चप्पलों की खरीदी में बड़ा भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया और कहा कि ई-टेंडरिंग के बजाय मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम के जरिए 195 रुपए में प्रति जोड़ी जूते तथा 131 रुपए में प्रति जोड़ी चप्पल खरीदी गई है, जबकि इनकी गुणवत्ता घटिया होकर जूते-चप्पलों पर उत्पादक का नाम तक दर्ज नहीं किया गया है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री चरण पादुका योजना के तहत मजदूरों को 8 लाख से अधिक जूते चप्पलों का वितरण किया गया है।