तपती-झुलसा देने वाली गर्मी में दरख़्त की शीतल छांव है मां, तो बर्फ़ीली सर्दियों में गुनगुनी धूप का अहसास है मां। एक ऐसी दुआ है मां, जो अपने बच्चों को हर मुसीबत से बचाती है। मां, जिसकी कोख से इंसानियत जनमी जिसके आंचल में कायनात समा जाए। जिसकी छुअन से दुख-दर्द दूर हो जाएं। जिसके होठों पर दुआएं हों। जिसके दिल में ममता हो और आंखों में औलाद के लिए इंद्रधनुषी सपने सजे हों। ऐसी ही होती है माँ। बिल्कुल ईश्वर के प्रतिरूप जैसी। ख़ुदा के बाद मां ही इंसान के सबसे ज़्यादा क़रीब होती है.