आज बात कुछ हटकर ...कोरोना के इस संकट काल में निराशा से बच कर ही जिया जा सकता है, चलिए प्रेम रस का आनंद लीजिए...
रामायण में जब हनुमानजी सीताजी का पता लगाने के लिए निकलने की तैयारी करते हैं, तब उन पर विश्वास कर राम भगवान एक मुद्रिका देते हैं जिस पर 'राम' नाम लिखा होता है। वो मुद्रिका सीताजी की है। जिससे सीताजी को हनुमानजी पर विश्वास हो जाएगा कि वे रामजी के दूत हैं। वो निशानी ही तो थी प्रेम निशानी। उस प्रेम निशानी में विश्वास का प्रकाश था। मतलब हमारी लोकल भाषा में बोले तो 'छल्ला निशानी।'
हमारे जीवन में प्रेम और प्रेम निशानियां अपना अद्भुत संसार रचती हैं। सभी मनुष्य कभी-न-कभी किसी-न-किसी को तो प्यार करता है और हर किसी के पास अपनी खुद की एक प्रेम कहानी है। और कहानी है तो निशानी भी है। अंगूठी को प्रेम निशानी के रूप में दुष्यंत और शकुंतला ने भी जिया।
प्रेम की निशानी अंगूठी मुनि दुर्वासा के श्राप से पानी में गिरी, पानी से मछली के पेट में, मछली मछुआरे के जाल में फिर काटने पर मछली के पेट में से निकली। मछुआरे ने निशानी को पहचानकर राजा तक पहुंचाई, फिर अंगूठी देखते ही राजा को अपने खोए-बीते प्रेम की कहानी याद आई। राजा-रानी ने सुखी जिंदगी बिताई।
कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण भी अपनी प्राणप्रिय बांसुरी प्रियतमा राधाजी को निशानी के रूप में सौंप गए थे जिससे कि उनकी विरह वेदना कुछ कम हो सके। कबीरदासजी कहते हैं कि 'जिस हृदय में प्रेम नहीं, वो मरघट के समान है।' प्रेम जीवन का प्राण है। जिसमें प्रेम नहीं, वह केवल मांस से घिरी हुई हड्डियों का ढेर है।
प्रत्येक प्रकार के प्रेम या मोह का भिन्न-भिन्न नाम होता है। प्रेम की कोई जाति व कोई धर्म नहीं होता। प्रेम चतुर मनुष्यों के लिए नहीं है। वह तो शिशु से सरल हृदयों की वस्तु है। प्रेम के अनेक रूप भी हैं। बहन-भाई के प्रेम में पवित्रता है। पति-पत्नी के प्रेम में मादकता है। आपसी संबंधों के बीच में स्नेह और लगाव की मिठास है, पर निशानियां इनमें भी हैं। मां-पिताजी, बहन-भाई का दिया प्रेम उपहार।
यह किसी भी रूप में हो सकता है। इन्हीं का नहीं, वरन जिनसे भी आप स्नेह-प्रेम करते हों उन सभी की दी हुई यादें स्वरूप सामग्री/वस्तु आपको प्रेम की गर्मी से आल्हादित करती हैं। ये कुछ भी हो सकती हैं। प्रेम से पगी हुईं। यह अमरता का समुद्र है, दैविक प्रेम का समुद्र। और प्रेम में दी हुईं निशानियां इसमें इठलाती-बलखाती लहरें, जो अपनी मीठी स्वर लहरियों से जीवन संगीत को मधुर बनाती हैं।
जीवन प्रेम है और प्रेम ही जीवन। प्रेम द्रोह को पराजित करता है। हर किसी के पास प्रेम की कोई निशानी है। रख सको तो एक निशानी है, भूल जाओ तो केवल कहानी है। वो खत, तस्वीर और सूखे फूल किताबों में, कभी उदास तो कभी यादों की तरंग से प्रफुल्लित कर जाती है। ये जो निशानियां होती हैं, वे नए दो प्यार करने वाले हृदयों के बीच स्वर्गिक ज्योति का काम करती हैं। ये दु:खों की पीड़ा पर माधुर्य की परत डाल देती हैं। भले ही इन निशानियों में वाणी नहीं है, पर प्रेम प्राकट्य की असीम शक्ति होती है।
प्रेमी-प्रेमिकाओं का प्रेम निशानियों का अपना एक अंदाज है। ताजमहल इनमें शामिल है। कई राजा-महाराजाओं/ रानियों-प्रेमिकाओं/ माता-पिता/ पुत्र-पुत्रियों, अन्य परिजनों की स्मृतियां व प्रेम और प्रेम निशानियों के रूप में महल, मंदिर, बावड़ियों, स्तंभ, कुंड, धर्मशाला, बाग-बगीचे, बांध, ताल-तलैया आदि कई और निर्माण इनके साक्ष्य हैं, पर ये सभी सामर्थ्यवानों के निर्माण हैं। जिन्हें हम निशानियों के रूप में मान सकते हैं, क्योंकि प्रेम को किसी सीमा में बांधना हवा को पेड़ से बांधने के समान ही होगा। प्रेम आत्मा का संगीत है चाहे वह चक्रवर्ती राजाओं के घरानों का हो, चाहे साधारण स्त्री-पुरुषों का। उनमें तिलमात्र भी भेद नहीं किया जा सकता।
प्रेमियों का प्रेम बंधन बड़ा विचित्र होता है। इस प्रीति-योग को केवल आपसी हृदय ही जानता है। यह सारा का सारा भावनाओं का खेल है। मनोरंजन जगत का पूरा साम्राज्य 'बॉलीवुड' तो इसी की बदौलत जमा हुआ है, पर असल जिंदगी में जिसने इस प्रेम फल की निशानियों के रस को नहीं चखा, वो अधूरा ही जीवन को जिया है।
प्रेम स्वर्ग है। हाथ से बुने हुए ऊन के वो स्वेटर, हाथों से रेशमी धागों से कढ़ाई किए हुए नामों के पहले अक्षर के रूमाल, वो बेल-बूटों से काढ़ा तकिये का गिलाफ, गुलुबंद, पर्स, गोदने गुदवाना, फूल, फोटो, लॉकेट, पायल, बिंदी, रंगीन खुशबूदार कागजों पर लिखे प्रेमपत्र, इत्र-फुलेल, किताबें, रंगीन चश्मे, पगड़ियां, हाथों से सिले कपड़े, चुंदड़ी, हार, चूड़ियां, बूंदें, झूमके, जूते, जूती, मोजड़ी, पुरानी डायरी व कॉपी-किताबों में छुपाकर लिखे गए अपने नाम के साथ जुड़ा कोई नाम, प्रेम संदेसा, शेरो-शायरी, चिट्ठी-पत्री, पेन और अनंत न जाने क्या-क्या जिसमें प्रेमी-प्रेमिकाओं को एक-दूसरे के प्रेम में हर निशानी का आरंभ, मध्य और अंत प्रेम ही जीवन का पाथेय है।
केवल प्रेम स्वर्ग है और स्वर्ग प्रेम। इन निशानियों में भले ही वैभव व विलास न हो, पर यह उससे भी ऊपर है। दिखावे और आडंबर से रहित। यह प्रेम का अनुभव है। प्रेम से प्रेम का पुरस्कार। ये नितांत निजी हैं और ज्यादातर ताउम्र गोपनीय ही रह जाते हैं।
सबके जीवन में एक बार प्रेम की दीपावली जरूर जलती है। इसमें संजीवनी शक्ति के रूप में होती हैं मीठी यादें, प्रेम निशानियां। ये मुहब्बत के रूह की खुराक हैं। अमृत की बूंदें हैं, जो मरे हुए भावों को जिंदा कर देती हैं। ये आत्मिक वरदान हैं। किसी भी चीज से इनकी तुलना नहीं की जा सकती। अतुलनीय, अद्भुत!
जिंदगी की सबसे पाक, सबसे ऊंची, सबसे मुबारक बरकत है। इसे हमेशा संभालकर रखिए अपने दिलों की तिजोरी में, क्योंकि यही प्रेम और भौतिक निशानियां हैं, जो आत्मा में अतीत का सौन्दर्य रस बनाए रखती हैं।
इससे उपजा जीवन संगीत कभी उबाऊ नहीं होता...! कभी भी नहीं...!!