अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान के कब्जे के बाद पूरी दुनिया में खौफ है, लेकिन जो सबसे बड़ी चिंता है वो महिलाओं के लिए है। तालिबान के कब्जे वाले अफगान में महिलाओं और बच्चों की क्या दुर्दशा होगी, यह सोचकर ही दहशत होती है।
अफगानी फिल्म मेकर सहारा करीमी का एक खत सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने महिलाओं के साथ ही अफगान के आम लोगों के भविष्य की भी चिंता जाहिर की है।
हालांकि, अफगानिस्तान में हमेशा से ऐसा नहीं रहा है। एक जमाना था, जब वहां लड़कियां मिनी स्कर्ट पहनती थीं, सिनेमा देखने जाती थीं और फिल्म देखने जातीं थीं, काबुल यूनिवर्सिटी किताबें हाथ में लिए नजर आती थीं। आज़ाद ख्यालों के साथ अफगानी लड़कियां खुलेआम और बेखौफ सड़कों पर घूमती थीं। जॉब करती थीं। और वो सबकुछ करती थीं जो अमेरिका और यूरोप के विकसित देशों की महिलाएं करती रहीं हैं।
इतना ही नहीं, अफ़ग़ानिस्तान में 1919 में ही महिलाओं को वोट देने अधिकार मिल गया था। वहीं, अमेरिका में अफ़ग़ानिस्तान के एक साल बाद यानी वर्ष 1920 में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला था। इसके साथ ही अफ़ग़ानिस्तान में 1960 के दशक में ही पर्दा प्रथा को ख़त्म कर दिया गया था। इस दौर के बाद महिलाएं स्कर्ट, मिनी स्कर्ट में शॉपिंग करने, बाहर घूमने फिरन और पढ़ाई करने जातीं थीं।
1970 के दशक तक महिलाओं को यहां भरपूर आजादी मिली। लेकिन जब 1996 से 2001 तक तालिबान का शासन कायम हुआ तो महिलाओं की जिंदगी नर्क बनती गई। तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में साल 1996 से लेकर 2001 कर शासन किया था।
लेकिन साल 2001 में एक बार फिर से अफगानिस्तान को खुले में सांस लेने की आजादी मिली, जब अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान को तालिबान के कब्जे से मुक्त कराया। अमेरिका ने 2001 में तालिबान को सत्ता से बेदखल कर दिया। नई सरकार का गठन हुआ, लेकिन अब 20 साल बाद एक बार फिर से तालिबान ने कब्जा जमा लिया है।
महिलाओं की आजादी, उन पर अत्याचार और शरिया कानून लागू करने की दहशत एक बार फिर से महसूस होने लगी है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अफगानिस्तान की प्रगति करीब 200 साल पीछे जा सकती है, ऐसे में महिलाओं की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता।
तालिबानी मंसूबे आ रहे नजर
हाल ही में काबुल एयरपोर्ट पर एक बिना बुरका पहने पहुंची एक महिला पर गोली चलाने की खबरें आई थीं। फिर सीएनएन की महिला रिपोर्टर क्लारिसा वार्ड की वायरल हो रही एक तस्वीर ने स्थिति की गंभीरता को बता दिया है। तस्वीर को देखकर पता चल रहा है कि तालिबान शासन आने के साथ किस तरह से हालात बदल गए हैं। वहीं एक जगह तालिबान क्लारिसा वार्ड से कह रहा है कि तुम महिला हो, एक तरफ खड़ी रहो। इसके बाद क्लारिसा को बुर्का पहनकर रिपोर्ट कवर करना पडी।
किस तरह की पाबंदी होती है इस्लामिक शरिया कानून में
लड़कियां किसी भी तरह की पढ़ाई नहीं कर सकती।
लड़कियों को स्कूल जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध।
महिलाएं के घर के बाहर नौकरी, जॉब नहीं कर सकतीं।
बिना पुरुष के महिलाएं अकेली घर से बाहर नहीं जा सकतीं।
सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की स्किन नजर नहीं आना चाहिए।
महिलाएं किसी पुरुष डॉक्टर से इलाज नहीं करा सकतीं।
महिलाएं राजनीति में नहीं आ सकती, न ही भाषण दे सकती, न बोल सकती हैं।