महंगी पड़ रही है एफसीआई की सुस्ती...

मंगलवार, 17 जून 2014 (11:47 IST)
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नई दिल्ली। एफसीआई (फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) की खाद्यान्नों को संभालने की सुस्ती अर्थव्यवस्था के लिए महंगी साबित हो रही है। एक ओर एफसीआई के गोदाम गेहूं और चावल से भरे पड़े हैं, लेकिन इनकी कीमतें बढ़ती जा रही हैं।

इसके साथ ही रेलवे की लाभदेयता पर भी असर पड़ रहा है क्योंकि कई-कई दिनों तक बैगन खाली नहीं हो पा रहे हैं और इनसे अन्य चीजों, जैसे सीमेंट, उर्वरक और शक्कर को नहीं भेजा जा रहा है।

इसी तरह यूपीए की सरकार उपभोक्ताओं को आश्वस्त करती रही है कि एफसीआई में इनका पर्याप्त भंडार है, लेकिन इसके बावजूद यह महंगाई पर रोक लगाने में सफल नहीं हो सकी।

एफसीआई के गोदामों में पर्याप्त जगह नहीं है और खाद्यान्नों को कवर और प्लिंथ के नीचे खुले में रखा जाता है। पंजाब और हरियाणा में ऐसे कई मामले आए हैं जिनमें जगह की कमी के चलते गेहूं और चावल सड़ गए।

वास्तविकता यह है कि गोदामों में चावल और गेहूं अत्यधिक मात्रा में पड़े रहते हैं और इन्हें इतनी तेजी से नहीं लाया, ले जाया जाता कि ये उपभोक्ता बाजारों में आसानी से उपलब्ध हों। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी मानते हैं कि एफसीआई को वैगनों को चढ़ाने और उतारनों में विशेषज्ञता होनी चाहिए ताकि खाद्यान्नों को तेजी से उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा सके। एक रेल अधिकारी का कहना है कि एक रैक को खाली करने करने में एफसीआई को 40-60 घंटे लगते हैं जो कि अन्य वस्तुओं को अनलोड करने की तुलना में बहुत अधिक होते हैं।

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