लड़ाकू मुर्गों को शक्तिवर्धक दवाएं! मकर संक्रांति पर लग जाता है करोड़ों का सट्‍टा

बुधवार, 10 जनवरी 2024 (12:43 IST)
Chicken Fighting in Andhra Pradesh: शक्तिवर्धक दवाएं लेने के मामले में ज्यादातर खेलों में सामने आते हैं, लेकिन मकर संक्रांति से पहले मुर्गों की फाइटिंग (Chicken Fighting) में उतरने वाले मुर्गों को भी शिलाजीत, वियाग्रा जैसी शक्तिवर्धक दवाएं देने की रिपोर्ट्स मीडिया में वायरल हो रही हैं। हालांकि इस लड़ाई पर 2018 में रोक लग चुकी है, लेकिन अवैध रूप से यह लड़ाई आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में जारी है। इस खेल पर करोड़ों रुपए की सट्‍टेबाजी भी होती है। 
 
कहा जा रहा है कि इस बार मुर्गों में रानीखेत नामक बीमारी फैलने से मुर्गों की सेहत पर असर पड़ा है। पोल्ट्री इंडस्ट्री पर भी असर पड़ा है। चूंकि मुर्गों की फाइटिंग में हिस्सा लेने मुर्गों की हालत भी इस समय खराब है। ऐसे में उन्हें शक्तिवर्धक दवाइयां दी जा रही हैं, ताकि वे लड़ने के काबिल बने रह सकें। मुर्गों की लड़ाई का यह खेल मकर संक्रांति के आसपास आयोजित होता है और इस पर करोड़ों रुपए का सट्‍टा लग जाता है। हालांकि फिलहाल बीमारी को शक्तिवर्धक दवाएं देने का कारण माना जा रहा है, लेकिन आमतौर लड़ाई से मुर्गों को इस तरह की दवाइयां दी जाती रही हैं। 
 
यूं तो मुर्गों की यह फाइटिंग छिटपुट स्तर पर कई जगह देखने में आती है, लेकिन प्रमुख रूप पूर्वी गोदावरी, पश्चिमी गोदावरी, गुंटूर और कृष्णा जिलों में मुर्गों की यह लड़ाई बड़ी संख्या में आयोजित होती है। इसके चलते अवैध रूप से मुर्गों के कई अखाड़े भी ‍खुल गए हैं। वेबदुनिया तेलुगू के अनुसार मुर्गों की इस फाइटिंग का हर साल चोरी-छिपे आयोजन होता है। 
2018 में लगी थी रोक : 2018 से पहले मुर्गों की लड़ाई का आयोजन बड़े पैमान पर किया जाता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद इस पर रोक लग गई। हालांकि चोरी-छिपे इस तरह के आयोजन अब भी होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गों की लड़ाई को मकर संक्रांति उत्सव का एक अहम हिस्सा माना जाता है। 
 
महाराष्ट्र में भी होती है लड़ाई : महाराष्ट्र में चोरी छिपे मुर्गों की लड़ाई के आयोजन होते हैं। नवंबर 2022 में ही मुंबई से करीब 100 किलोमीटर दूर रायगढ़ जिले में पुलिस ने एक फार्म हाउस में पर छापा डालकर मुर्गों की लड़ाई पर सट्टा लगाने वाले 34 लोगों को गिरफ्तार किया था।

तब पुलिस ने बताया था कि ये लोग मुर्गों की लड़ाई पर लाखों रुपए का सट्टा लगा रहे थे। लड़ाई के उपयोग किए जाने मुर्गों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है साथ उन्हें दवाइयां देकर हिंसक भी बनाया जाता है। ये मुर्गे भी दक्षिणी राज्य आंध्रप्रदेश और तेलंगाना से मंगाए गए थे। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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