पीड़ितों और चश्मदीदों का अता-पता नहीं है, ऐसे में जांच कैसे संभव है। हालांकि दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दत्तार ने एटॉर्नी जनरल की इन दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि अब तक यह जानकारी सार्वजनिक नहीं है कि आखिरकार केंद्र द्वारा गठित एसआईटी ने 80 फीसदी मामलों को क्यों बंद कर दिया?