श्रीनगर। इस वर्ष अभी तक 11 महीनों के दौरान 200 आतंकियों का सफाया ऑपरेशन आल आउट के तहत किया जा चुका है। दो सौ आतंकियों के मरने की खुशी तो मनाई जा सकती है, लेकिन अगर आंकड़ों पर एक नजर दौड़ाएं तो सुरक्षाकर्मियों की शहादत का आंकड़ा भी बढ़ा है।
और अब एक बार फिर आतंकियों के मरने की संख्या में इजाफा होने लगा है। यह इसी से साबित होता है कि वर्ष 2013, 14, 15 तथा 16 में क्रमशः 100, 110, 113 तथा 165 आतंकी मारे गए थे। इस साल 11वें महीने के खत्म होते होते मरने वाले आतंकियों की संख्या 200 को पार तो करने लगी थी, लेकिन सुरक्षाकर्मियों की शहादत के घटते अनुपात ने सबको चिंता में जरूर डाल दिया था। अर्थात जहां पहले पांच आतंकियों की मौत के अनुपात में एक जवान को शहादत देनी पड़ रही थी अब यह आंकड़ा 1: 2.5 का हो गया है जो अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
इस बारे में कुछ अधिकारियों का मानना था कि आतंकी अधिक आधुनिक हथियारों, सटीक हमलों तथा अतिप्रशिक्षित हैं जिस कारण सुरक्षाबलों की शहादत का अनुपात चिंता में डाले हुए है। जानकारी के लिए सुरक्षाबलों की शहादत के आंकड़ों में सेना, पुलिस, केरिपुब तथा बीएसएफ आदि के जवान शामिल हैं।