राजीव गांधी के 5 बड़े फैसले, जिन्होंने बदल दी देश की दिशा

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स्वर्गीय राजीव गांधी 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 24 घंटे के भीतर देश के प्रधानमंत्री बन गए थे। वे राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने भारत के लोगों को 21वीं सदी का सपना दिखाया था। 21 मई 1991 में लिट्‍टे के आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की मौत हुई थी। राजीव की पुण्यतिथि को देश आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में भी मनाता है। प्रधानमंत्री रहते हुए स्व. गांधी ने कई ऐसे काम किए,‍ जिन्होंने देश की दिशा बदल दी...

युवाओं को मताधिकार : आज जब एक युवा 18 साल का होता है और वोट डालने के बाद अंगुली की स्याही दिखाते हुए सेल्फी लेता है तो उसका उत्साह देखते ही बनता है, लेकिन इनमें से कई को यह भी पता नहीं होगा कि 18 साल की उम्र में वोट देने का अधिकार आखिर उन्हें कैसे मिला? दरअसल, वे राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने वोटिंग की उम्र 21 साल से घटाकर 18 वर्ष की थी। कहा जाता है कि जिस समय यह फैसला लिया गया था, उस समय करीब 5 करोड़ युवाओं को वोट देने का अधिकार मिला था।
भारत में कंप्यूटर क्रांति : भारत में कंप्यूटर और संचार क्रांति का श्रेय राजीव गांधी को ही जाता है। स्व. गांधी का मानना था कि देश की युवा पीढ़ी को आगे ले जाना है तो उसके लिए कंप्यूटर और विज्ञान की शिक्षा जरूरी है। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने विज्ञान और टेक्नोलॉजी के लिए सरकारी बजट को बढ़ाया। कंप्यूटर की कीमतें घटाने के लिए राजीव ने अहम फैसला लिया। उन्हें इसे सरकारी नियंत्रण से बाहर किया और असेंबल कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया। देश की 2 बड़ी टेलीकॉम कंपनी एमटीएनएल और वीएसएनएल की शुरुआत उनके कार्यकाल में ही हुई।

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा : स्व. राजीव गांधी ने ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के उद्देश्य से जवाहर नवोदय विद्यालयों की स्थापना की। वर्तमान में लगभग हर जिले में एक नवोदय विद्यालय है और स्थिति ऐसी है कि शहरी क्षेत्र के बच्चे भी नवोदय स्कूलों में प्रवेश ले रहे हैं। राजीव ने यह फैसला 1986 में घोषित शिक्षा नीति के तहत लिया था।
पंचायती राज : गांवों को सशक्त और लोकतंत्र में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए राजीव ने पंचायती राज का बड़ा फैसला लिया। इसके माध्यम से उन्होंने पूरे देश में ग्राम सरकार की अवधारणा लागू की और पंचायतों को ज्यादा अधिकार दिए। उनका मानना था कि ग्राम पंचायतों को सत्ता में वह दर्जा मिलना चाहिए जो संसद और विधानसभा का है।

अयोध्या में विवा‍दित स्थल का ताला खुलवाया : ऐसा कहा जाता है कि हिन्दू समुदाय की नाराजी को कम करने के लिए वर्ष 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अयोध्या के विवादित स्थल का ताला खुलवा दिया और 1989 में राम मंदिर के निर्माण के लिए शिलान्यास की इजाजत भी दे दी। तब से यह मामला राजनीतिक बन गया। वर्तमान में राम मंदिर का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। सबसे पहले अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग 1885 में महंत रघुवर दास ने उठाई थी।

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