जेटली बोले, जनधन, आधार, मोबाइल से सामाजिक क्रांति

रविवार, 27 अगस्त 2017 (13:50 IST)
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि जनधन, आधार और मोबाइल की ‘त्रिमूर्ति’ से सामाजिक क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। इससे सभी भारतीय साझा वित्तीय, आर्थिक और डिजिटल क्षेत्र में आ चुके हैं। यह कुछ उसी तरीके से है जिससे माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से एकीकृत बाजार बना है।
 
उन्होंने कहा, 'अब देश की निगाह एक अरब पर है। एक अरब आधार नंबर जो एक अरब बैंक खातों और एक अरब मोबाइल फोन से जुड़े हों। एक बार यह हो जाने के बाद पूरा देश वित्तीय और डिजिटल मुख्यधारा में आ जाएगा।'
 
प्रधानमंत्री जनधन योजना की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर फेसबुक पोस्ट में लिखा है, 'जिस तरह से जीएसटी से एक कर, एक बाजार, एक भारत बना है, पीएमजेडीवाई और जैम क्रांति से सभी भारतीयों को एक साझा वित्तीय, आर्थिक और डिजिटल क्षेत्र से जोड़ा जा सकता हैं। कोई भारतीय इस मुख्यधारा से बाहर नहीं रहेगा।' वित्त मंत्री ने कहा कि जैम किसी सामाजिक क्रांति से कम नहीं है। इससे सरकार, अर्थव्यवस्था और विशेषरूप से गरीबों को काफी फायदा मिलेगा।

इससे लाभों का उल्लेख करते हुए जेटली ने कहा कि गरीबों को वित्तीय सेवाओं तक पहुंच मिलेंगी और जीवन में आने वाले झटकों को सह सकेंगे। वहीं सब्सिडी का बोझ घटने से सरकार की वित्तीय स्थिति सुधरेगी। इससे प्रणाली की खामियों को दूर किया जा सकेगा।
 
फिलहाल सरकार 35 करोड़ लाभार्थियों के खातों में सालाना 74,000 करोड़ रुपये का स्थानांतरण करती है। मासिक आधार पर 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का स्थानांतरण किया जाता है।
 
वित्त मंत्री ने कहा कि यह स्थानांतरण विभिन्न योजनाओं मसलन पहल, मनरेगा, वृद्धावस्था पेंशन और विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति के तहत किया जाता है।
 
आधार को बैंक खातों से जोड़ने के बारे में जेटली ने कहा कि अभी तक 52.4 करोड़ विशिष्ट आधार नंबरों को 73.62 करोड़ खातों से जोड़ा जा चुका है। इससे अब गरीबों को इलेक्ट्रानिक तरीके से भुगतान कर पा रहे हैं। हर महीने गरीबों द्वारा आधार पहचान के जरिये 7 करोड़ सफल भुगतान किए जाते हैं।
 
उन्होंने कहा कि इसके अलावा भीम एप और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस शुरू होने से जैम पूर्ण रूप से परिचालन में आ गया है। इस योजना की उपलब्धि का ब्योरा देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जनवरी, 2015 में कुल पीएमजेडीवाई खातों की संख्या 12.55 करोड़ थी जो 16 अगस्त, 2017 तक बढ़कर 29.52 करोड़ हो गई। इसी अवधि में जारी किए गए रूपे कार्ड की संख्या 11.08 करोड़ से 22.71 करोड़ पर पहुंच गई। (भाषा) 

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