बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) की शक्तियों को लेकर जारी बवाल थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। सोशल मीडिया पर बागेश्वर धाम सरकार लगातार ट्रेंड कर रहा है। अब तरफ कई कांग्रेस नेताओं का दावा है कि धीरेंद्र शास्त्री सिर्फ पाखंड को बढ़ावा दे रहे हैं। अगर उनके पास शक्तियां हैं तो वे प्रमाणित करें। वहीं भाजपा नेता खुलकर उनके समर्थन में दिखाई दे रहे हैं।
नागपुर, मध्य प्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ में भी धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती मिली है। छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कवासी लखमा ने बाबा से उनके साथ बस्तर चलने को कहा। अगर कल-परसों में धर्मांतरण हो रहा है तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा और अगर नहीं हो रहा है तो वो पंडिताई छोड़ें।
दरअसल, कवासी लखमा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के 18 जनवरी को रायपुर में धर्मांतरण को लेकर दिए बयान से नाराज हैं। शास्त्री ने कहा था कि जहां-जहां धर्मांतरण हो रहा है वो वहां रामकथा सुनाने जा रहे हैं।
वहीं साध्वी प्राची ने ट्वीट कर कहा कि सनातन संस्कृति के लिए आवाज उठाने वाले हर सनातनी को मेरा समर्थन। हर सनातनी बागेश्वर धाम सरकार के साथ है।
भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मैंने उनका इंटरव्यू देखा है, जिसमें उन्होंने कहा कि मैं कोई जादू, चमत्कार नहीं करता हूं। मुझे अपने ईष्ट पर विश्वास है। मैं उन ईष्ट का नाम लेता हूं, जिससे लोगों की समस्या का निराकरण हो जाता है। ऐसे तो जावरा की हुसैन टेकरी पर भी लोग जाते हैं। वहां नाचते-कूदते हैं। इससे ठीक होकर आ जाते हैं। इस पर तो कोई प्रश्न चिन्ह नहीं उठाता।
उल्लेखनीय है कि लोगों के मन की बात पर्चे पर उतारने और उनकी समस्याओं का समाधान करने का दावा करने वाले युवा संत बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की शोहरत 7 समंदर पार लंदन तक पहुंच चुकी है। भारत में तो उनके चमत्कार के चर्चे हैं ही। उनकी कथाओं में हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं।
क्या है पूरा मामला : धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के नागपुर में 5 से 13 जनवरी तक रामकथा प्रवचन थे। इसी बीच, उनके वीडियो देखकर महाराष्ट्र अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रमुख श्याम मानव ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा था कि यदि शास्त्री उनके 10 लोगों में से 9 लोगों के नाम भी सही बता देंगे तो वे उन्हें 30 लाख रुपए देंगे साथ ही उनका विरोध करना भी छोड़ देंगे।
समिति के मुताबिक श्याम मानव रामकथा आयोजन में जाने वाले थे, लेकिन इसकी भनक लगते ही बाबा कथा छोड़कर 2 दिन पहले ही वहां से चले गए। बाद में बाबा के समर्थकों ने कहा कि शास्त्री को कैंसर अस्पताल से संबंधित एक बैठक में भाग लेना जाना था, इसलिए वे बीच में ही चले गए।