जोशीमठ। उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव ने जोशीमठ में शुक्रवार को जानकारी दी कि जोशीमठ में पानी का डिस्चार्ज 250 एलपीएम हो गया है। अब तक जोशीमठ के 863 भवनों में दरारें मिल चुकी हैं। भवनों का सर्वेक्षण का कार्य अभी जारी है। शुक्रवार को गांधीनगर में 1, सिंह धार में 2, मनोहर बाग में 5, सुनील में 7 क्षेत्र/वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं।
कुल 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित हैं। 269 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किए गए हैं। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 900 है। जोशीमठ के नगर पालिका क्षेत्र में 18 प्रसूता महिलाएं है, जो वर्तमान में राहत शिविरों में नहीं हैं। ये प्रसूता महिलाएं स्वयं के आवासों में रह रही हैं जिनका निरंतर स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। राहत शिविरों में 10 वर्ष से कम आयु के 81 बच्चे हैं जिनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है।
भवनों का ध्वस्तीकरण तेजी से जारी : शुक्रवार को जोशीमठ में बर्फबारी होने से पूर्व जोशीमठ में असुरक्षित भवनों को चिह्नित करने के साथ ही खतरा बने भवनों का ध्वस्तीकरण भी तेजी से चल रहा था। लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस को अब जेसीबी से ध्वस्त किया जा रहा था। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम सुरक्षा व्यवस्था का अच्छी तरह आकलन करने के बाद उठाया गया।
नगर के सबसे ऊपरी हिस्से में स्थित मनोहर बाग क्षेत्र में भी भूधंसाव और दरारों के कारण खतरनाक हो चुके 2 भवनों को ध्वस्त करने की प्रक्रिया भी शुरू हो रही है। इस संबंध में बुधवार को आदेश जारी किया गया था। मनोहर बाग भूधंसाव से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से है।
27 भवनों पर लगाया लाल निशान : यहां 27 भवनों पर लाल निशान लगाया जा चुका है। इन भवनों में दरारों की संख्या और चौड़ाई बढ़ रही है। इसके अलावा नगर में 2 होटलों मलारी इन व माउंट व्यू और जेपी कॉलोनी के 14 भवनों को तोड़ने की प्रक्रिया जो पिछले दिनों से गतिमान है, पर भी ब्रेक लगा है।
होटल स्नो क्रेस्ट और कॉमेट लॉज असुरक्षित घोषित: सिंहधार वार्ड में एक-दूसरे की तरफ झुक रहे होटल स्नो क्रेस्ट और कॉमेट लॉज को भी असुरक्षित घोषित कर उन पर लाल निशान लगा दिए गए हैं। होटलों का झुकना लगातार जारी है। इनमें दरारों की संख्या और चौड़ाई भी बढ़ रही है। इसको देखते हुए होटलों को खाली करा दिया गया है। जल्द ही प्रशासन इनके ध्वस्तीकरण का निर्णय ले सकता है।
14 भवन असुरक्षित घोषित : जोशीमठ के सबसे निचले इलाके मारवाड़ी में स्थित जेपी कॉलोनी में भी 14 भवन असुरक्षित घोषित कर सीबीआरआई वैज्ञानिकों की देखरेख में तोड़ने की प्रक्रिया में भी खलल पैदा हुआ है। यह कार्य जेपी कंपनी स्वयं अपने इंजीनियरों और श्रमिकों से करा रही थी।