मोदी यहां भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) की नई इमारत 'धरोहर भवन' के उद्घाटन के लिए आए थे। वह अपना संबोधन समाप्त कर मंच के नीचे आकर वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर ही रहे थे कि पास ही रखी एक एसी मशीन से धमाके की आवाज सुनाई दी। यह मशीन उसी जगह रखी हुई थी, जहां प्रधानमंत्री के साथ आए कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था की गई थी।
उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ देशों में सेवानिवृत्त लोग धरोहरों के संरक्षण में योगदान देते हैं। हमारे देश में अभी यह सोच विकसित नहीं हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में इस क्षेत्र में जनसहयोग, जनभागीदारी बहुत मिलती है। वहां सेवानिवृत्त लोग गाइड का काम करते हैं। हमारे देश में यह मानसिकता बनानी है।
उन्होंने इस काम में कॉर्पोरेट दुनिया को साझेदार बनाने की सलाह देते हुए कहा कि स्थानीय कंपनियों से बात करनी चाहिए कि क्या उनके कर्मचारी महीने में 10-15 घंटे इस दिशा में दे सकते हैं। साथ ही बच्चों को उनके पाठ्यक्रम में उनके शहर का इतिहास बताया जाए। स्थानीय स्तर पर टूरिस्ट गाइड का सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया जा सकता है जिससे गाइड को उसके शहर की धरोहरों के बारे में एक-एक जानकारी होना सुनिश्चित किया जा सके। (वार्ता)