उन्होंने कहा कि मामला पहले लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक विज्ञापन कंपनी के प्रवर्तक की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसे उत्तरप्रदेश सरकार ने सीबीआई को सौंप दिया। उन्होंने कहा कि त्वरित कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने बताया कि मुख्य आरोप धन लेकर टीआरपी रेटिंग में हेरफेर किए जाने का मामला है। सीबीआई अधिकारियों ने विस्तृत ब्योरा देने से इंकार कर दिया।
भारत में ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) 45 हजार से अधिक घरों में एक उपकरण लगाकर प्वाइंट की गिनती करता है। इस उपकरण को ‘बार ओ मीटर’ कहा जाता है। यह उपकरण इन घरों के सदस्यों द्वारा किसी कार्यक्रम या चैनल के देखे जाने का आंकड़ा एकत्रित करता है जिसके आधार पर बार्क साप्ताहिक रेटिंग जारी करता है। मुंबई पुलिस ने हाल में टीआरपी में हेरफेर किए जाने का एक मामला दर्ज किया था जिसके बाद बार्क ने अस्थायी रूप से रेटिंग का काम स्थगित कर दिया है।
यह कथित फर्जी टीआरपी घोटाला तब सामने आया जब रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) ने हंसा रिसर्च ग्रुप के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई कि कुछ चैनल विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करने के लिए टीआरपी अंक के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। आरोप है कि दर्शक संबंधी आंकड़े के संग्रहण के लिए जिन परिवारों में मीटर लगाए गए थे और उनमें से कुछ को कुछ खास चैनल देखने के लिए रिश्वत दी जाती थी।