केंद्र ने NEET आरक्षण के लिए 8 लाख सालाना आय की सीमा को ठहराया सही

बुधवार, 27 अक्टूबर 2021 (11:51 IST)
नई दिल्ली। केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट में आरक्षण के वास्ते आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के निर्धारण के लिए तय की गई 8 लाख रुपए सालाना आय की सीमा के अपने फैसले को सही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केन्द्र सरकार से जवाब मांगा था। 
 
शीर्ष अदालत के समक्ष सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दायर एक हलफनामे में कहा गया कि राशि तय करने का सिद्धांत तर्कसंगत और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत है।
 
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर का निर्धारण करने के वास्ते अपनाया गया तरीका ईडब्ल्यूएस श्रेणी के निर्धारण के लिए समान रूप से लागू होगा क्योंकि मूल आधार यह है कि यदि किसी व्यक्ति/उसके परिवार की आर्थिक स्थिति पर्याप्त मजबूत है, तो उसे दूसरों के खर्च पर आरक्षण के लाभों की आवश्यकता नहीं हो सकती।
 
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एसआर सिन्हा आयोग का गठन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने 2010 में किया था और इसने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए कल्याणकारी उपायों की सिफारिश की थी। मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के निर्धारण के मानदंड सभी संबंधित हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद तैयार किए गए थे।
 
कोर्ट ने मांगा था जवाब : ऑल इंडिया कोटा में EWS कोटे में आरक्षण की सुविधा लेने के लिए बुनियादी शर्त 8 लाख रुपए सालाना तक की आमदनी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया था। कोर्ट ने कहा कि आखिर इसके आधार में कोई सामाजिक, क्षेत्रीय या कोई और सर्वे या डेटा तो होगा?
 
अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी में जो लोग 8 लाख रुपए सालाना से कम आय वर्ग में हैं वो तो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं, लेकिन संवैधानिक योजनाओं में ओबीसी को सामाजिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़ा नहीं माना जाता। ये नीतिगत मामले हैं, जिनमें हम हाथ नहीं डालना चाहते। आपको यानी सरकार को अपनी जिम्मेदारी संभालना चाहिए।

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